Book Title: Agam 38B Panchkappabhasa Chheysutt 05B
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 13
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १० www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (१६) (१७) खीरासवमादीणि तु सुभाणि मद्दाणि तस्स तु बहूणि सव्व इहपरलोए भद्द तो सव्वतोभद्दो आभोसहादि इह तह परलोए होंतऽ नुत्तरसुरादी सुकुलुप्पत्ती य तओ ततो य पच्छाय नेव्वाणं (१८) मातित्ति भद्दमहवा भाई नाणादीएहिं सो जम्हा सो होति भद्दनामो कुणेति मद्दाणि वा जम्हा (१९) पवयण दुवाल संगं तस्स हितो जं करेतऽ वोच्छित्तिं संघो तु पवयणं तू हितोवदेसं अतो तस्स (३०) केतूसो उसिए उसियं तुंगं तु तस्स तु सुहं तु इहलोए परलोए सो भगवं होति परमसुही (२१) वाथणय पभावणया सुतनाणगुणा य जे वदति लोए विउसपरिसाए मज्झे सुतणाणपभावणा एसा (२३) (२२) किं कारण तस्स कओ महया भत्तीय तू नमोकूकारो जम्हा तेणं जूढा अम्ह हियद्वाय सुत्त इमे आयारदसा कप्पो ववहारो नवमपुव्वनीसंदो चारित्तरक्खणवा सूयकडस्सुप्परिं ठविता (२४) अंगदसा अण्णाचि हु उवासगादीण तेण उ विसेसो आयारदसा उ इमा जेणेत्थं वण्णियाऽऽयारा (२५) दसकप्पव्यवहारा एगसुतक्खंध केइ इच्छंति केई व दसा एक्कं कष्पव्ववहार बीयं तु (२६) रयणागरथाणीयं नवमं पुव्वं तु तस्स नीसन्दो परिगाल परिस्साबो एते दसकप्पववहारा (२७) किं कारण निजूढा चरित्तसारस्स रक्खणड्डाए खलियस तहिं सोही कीरइ तो होति निरुवहयं (२८) सूयकडुवरि ठविता जम्हा तू पंचवासपरियाए सूयकडमहिजति तू तो जोग्गो होति सो तेर्सि (२९) अनुकंपाऽवुच्छेदो कुसुमा भेरी तिमिच्छा पारिच्छा कप्पे परिसा य तहा दिट्टंता आदिसुत्तम्मि (३०) ओसप्पिणि समणाणं हाणिं नाऊण आउगबलाणं होर्हितुवग्गहकरा पुव्वगतम्मी पहीणम्मि (३१) खेत्तस्स य कालस्स य परिहाणि गहणधारणाणं च बलविरिए संघयणे सद्धा उच्छाहतो चैव (३२) किं खेत्तं कालो वा संकुपती जेण तेण परिहाणी भन्नइ न संकुयंती परिहाणी तेसि तु गुणेहिं (३३) भणियं तु दूसमाए गामा होर्हिति तू मसाणसमा इय कारण गुणहाणी कालेवि उहोतिमा हाणी For Private And Personal Use Only पंचकणी (१६) 119411 119911 119211 119811 ॥२०॥ 112911 ॥२२॥ ॥२३॥ ॥२४॥ ॥२५॥ ॥२६॥ ॥२७॥ ॥२८॥ ॥२९॥ ॥३०॥ ★ 113911 ★ ॥३२॥ ॥३३॥ ·

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