Book Title: Agam 38B Panchkappabhasa Chheysutt 05B
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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१11981
॥२॥
॥४॥
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नमो नमोनिप्पत सणस्त पंचमगणपर श्री सुधर्मा स्वामिने नमः ३८ पंचकप्प-भास
पंचमं छेयसुत्तं वंदामि मद्दबाहुं पाईणं चरिमसगलसुयनाणी सुत्तत्थकारगमिसिंदसाण कप्पेय ववहारे कप्पंति नामनिष्फण्णं महत्यं वत्तुकामतो निजूहगस्स भत्तीय मंगलट्ठाए संपुर्ति तित्यगरनमोक्कारो सत्थस्स तु आइए समक्खाओ इह पुणजेणऽज्झयणं निजूढं तस्स कीरति तु सत्याणि मंगलपुरस्सराणि सुहसवणगहणधरणाणि जम्हा मवंति जंति य सिस्सपसिस्सेहिं पचयं च भत्ती य सत्यकत्तरितत्तो उवओगगोरवं सत्ये एएण कारणेणं कीरद आदी नमोक्कारो यदि अभिवादयुतीए सुमसद्दो नेगहातु परिगीतो वंदण पूयण नमणं थुणणं सक्कारमेगट्ठा भद्दन्ति सुंदरन्तिय तुल्लत्यो जत्य सुंदरा बाहू सो होति भद्दबाहू गोणं जेमं तु बालते पाएणं लक्खिज्जइ पेसलभायो तु बाहुजुयलस्स उववण्ममतो नामं तस्सेयं भद्दबाहुत्ति अण्णेवि भद्दबाहू विसेसणं गोत्त गहण पाईणं अपणेसिं पऽविसिढे विसेसणंचरिमसगलसुतं चरिमो अपच्छिमो खलु चोइस पुधाउ होति सगलसुतं सेसाण युदासहासुतकरऽज्झयणमेयस्स किं तेण कयं सुतंज भण्णति तस्स कारतो सो उ भण्णति गणधारीहिं सद्यसुयं चेव पुवकतं तत्तोनिय निजूढं अनुग्गहवाय संपयजतीणं
सो सुत्तकारओ खलु स भवति दसकप्पववहारे (१३) वंदे तं भगवंतं बहुमद्दसमदसव्वओभई
पवयणहियसुय केतुंसुयनाणपभावगं धीरं वदिसद्दो पुव्बभपिओतदिती तं चेव नामगोत्तेहिं
इस्सरियाइ गुण भगो सो से अत्यित्ति तो भगवं (१५) मई कल्लाणंति य एगटुंतंच सुबहुयं जस्स
सो होति सुबहुभद्दो सोभणमहो सुमद्दोत्ति
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