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गद्य साहित्य : पर्यालोचन और मूल्यांकन
___० दिनभर दुकान पर बैठकर ग्राहकों को धोखा देना, रिश्वत लेना, झूठे केस लड़ना, चोरी, झूठ आदि में लगे रहना और इनके दुष्परिणामों से बचने के लिए मंदिर में प्रतिमा की परिक्रमा करना, साधु-संतों के चरण स्पर्श करना, भजन-कीर्तन में भाग लेना वास्तव में धार्मिकता नहीं है ।
आचार्य तुलसी का शब्द-सामर्थ्य बहुत समृद्ध है । मत: समतामूलक अर्थीय समानान्तरता के प्रयोग उनके साहित्य मे प्रचुर मात्रा में मिलते हैं । भोलानाथ तिवारी का अभिमत है कि अर्थीय समानान्तरता आंतरिक है और इसका बाहुल्य शैली में अपेक्षाकृत गंभीरता का द्योतक होता है।' आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी का एक प्रयोग है
'मनुष्य की चरितार्थता प्रेम में है, मैत्री में है, त्याग में है।' आचार्यश्री के साहित्य में अर्थीय समानान्तरता के उदाहरण द्रष्टव्य
. 'अकर्मण्य व्यक्ति में कैसा साहस ! कैसी क्षमता ! कैसा उत्साह !' यह अर्थीय समानान्तरता का ही एक रूप है कि किसी भी बात या भाव पर बल देने के लिए वे शब्द के दो तीन पर्यायों का एक साथ प्रयोग करते हैं.-..
० 'कोई भी बाधा, रुकावट या मुसीबत आपके सत्यबल और आत्मबल के समय टिक नहीं पाएगी।' . ओजस्विता और जीवन्तता उनकी शैली के सहज गुण हैं इसीलिए बेलाग और स्पष्ट रूप से कहने में वे कहीं नहीं हिचकते। शैलीगत यह वैशिष्ट्य उनके सम्पूर्ण साहित्य में छाया हुआ है। वे वर्गविशेष पर अंगुलि-निर्देश करते समय निर्भीक होकर अपनी बात कहते हैं। यह वैशिष्ट्य उनके अपने फक्कड़पन, मस्ती एवं दुनियावी स्वार्थ से ऊपर उठने के कारण है । राजनैतिकों ने सामने प्रस्तुत प्रश्न इसी शैली के उदाहरण कहे जा सकते हैं
__ "राष्ट्र को स्थिर नेतृत्व प्रदान करने के नाम पर क्यों सिद्धांतहीन समझौते और स्तरहीन कलाबाजियां दिखाई जा रही हैं ? सम्प्रदायवाद, जातिवाद, भाषावाद और प्रान्तवाद को भड़का करके क्यों सत्ता की गोटियां बिठाई जा रही हैं ? राष्ट्रपुरुष की छवि निखारने के नाम पर क्यों अपने स्वार्थों की पूर्ति की जा रही है ?
उनकी कथन शैली का यह अनन्य वैशिष्ट्य है कि वे केवल समस्या को प्रस्तुत ही नहीं करते, उसका समाधान एवं दूसरा विकल्प भी दर्शाते हैं ! इससे उनके साहित्य में पाठक को एक नयी खुराक मिलती है। देश के
१. एक बूंद : एक सागर, पृ०६२ २. व्यावहारिक शैली विज्ञान, पृ० ८६ ३. जैन भारती, १६ दिस. ७९
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