Book Title: Acharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Author(s): Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 639
________________ परिशिष्ट २ ३२५ आज के युग की समस्याएं २६ जन० ६० आज जागृत होना है १५ फर० ५९ आज व्यक्ति धन के लिए एक-दूसरे को निगलना चाहता है १५ मार्च ५७ आज सिर्फ प्रचार करने की जिम्मेदारी ही नहीं है १५ फर० ५७ आत्मघाती कुप्रथा को छोड़ें १ अप्रैल ५९ आत्मदर्शन की साधना : दीक्षा' जन० १५ अग० ४९ आत्मनिरीक्षण का रास्ता १ जन० ५७ आत्मरक्षा या प्राणरक्षा ? जन० ८ सित० ४९ आत्मशुद्धि और लोकतंत्र जन० १५ अग० ४९ आत्मशुद्धि की आवश्यकता जन० १ व ८ जुलाई ४९ आत्मशोधन, आत्मालोक की आवश्यकता जन० १ नव० ४९ आत्मशोधन का मार्ग १५ जून ५८ आदर्शों के लम्बे-लम्बे गीत गाने से क्या बनेगा ! १ फर० ५६ आध्यात्मिक शिक्षा का अभाव आत्मविस्मृति है जन० १५ दिस० ४९ आनन्दमय जीवन का रहस्य १ मार्च ७७ आंतरिक निर्माण के लिए १६ सित० ६७ आपका विश्वास राष्ट्रीयता में है या नहीं ? १६ मार्च ८२ आहारविवेक १ जन० ६५ आह्वान १ अक्टू० ८२ इंसान को दृढ़-संकल्प होना है १ जन० ५७ इन खाइयों को पाटा जाय १ फर० ५८ इस रोग का सही निदान क्या है ? १ अक्टू० ५७ उपदेश देना ही नहीं पड़ेगा १५ जन० ५८ उपलब्धि और नई योजना १६ अप्रैल ७२ ऊंचापन और नीचापन जाति व जन्म से नहीं जनः १३ अप्रैल ४९ एक भारी उत्तरदायित्व १ जुलाई ५६ एक व्यवहार्य उपक्रम १५ जन० ५९ एक संदेश' जन० १८ अक्टू० ४८ ऐशो-आराम छोड़े बिना अणुव्रत पाले जाने मुश्किल हैं १५ दिस० ५६ और आगे बढ़ना चाहिए १ फर० ५८ कहने के बजाय करने का समय १५ जुलाई ५८ १. ११-९-४८ छापर। २. पट्टोत्सव पर प्रदत्त । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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