Book Title: Acharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Author(s): Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 650
________________ ३३६ प्रेक्षाध्यान एवं तुलसी - प्रज्ञा ( इसमें प्रे उल्लेख वाले प्रेक्षाध्यान के लेख हैं बाकी तुलसीप्रज्ञा के हैं) । अनासक्ति क्रोध : आत्मा का विभाव गमन योग जाति और संस्कार जीवन परिवर्तन का अमोघ उपाय - योग धर्म : आत्मा का स्वभाव धर्म और अणुव्रत धर्म का फल -आनन्द धर्म का माहात्म्य धर्म विषयक विविध अवधारणाएं धैर्यपूर्वक पुरुषार्थं करें प्रायोगिक ज्ञान की अनिवार्यता प्रेक्षा प्रेक्षा की पृष्ठभूमि प्रेक्षा की स्रोतस्विनी प्रेक्षा है जीवन की सही दिशा भगवान् महावीर और गोशालक मैत्री भावना लब्धियां ---साधना का मूल नहीं विचार को आचार की भूमिका पर उतारें विधायक भावों का विकास वैज्ञानिक अध्यात्म की कलम लगाएं शिक्षक विद्यार्थी बनें साधना का अर्थ साधना का मर्म साधना के तीन सूत्र साधना के विघ्न स्याद्वाद या अनेकान्तदृष्टि स्वस्थ और आत्मस्थ बनने की प्रक्रिया मा० तुलसी साहित्य : एक पर्यवेक्षण Jain Education International For Private & Personal Use Only फर० मार्च ७९. जून - जुलाई ७९ जून ८७ फर० मार्च ८० प्रे० मार्च ८२ अप्रैल - जुलाई ८० दिस० ७९ / जन० ८० जुलाई-सित० ७८ दिस० - जन० ७८-७९ सित० ८६ अप्रैल ८१ जून० ८८ प्रे० अप्रैल ७८ प्रे० जुलाई ७८ प्रे० अग० ७८ ० सित० ७८ अक्टू० - नव० ७९ अक्टू० ० नव० ७८ प्रे० जुलाई ८२ जून ८५ सित०८८ प्रे० दिस० ८४ प्रे० जुलाई ८१ अप्रैल-सित० ७७ प्रे० जून ८२ प्रे० सित० ८१ दिस०८८ जून ९० प्रे० सित० ८२ www.jainelibrary.org

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