Book Title: Acharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Author(s): Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati

Previous | Next

Page 649
________________ परिशिष्ट २ नारी जाति का मूल्यांकन आवश्यक परिवर्तन; जो मैंने देखे भगवान् महावीर का साधना सूत्र : संयम भगवान् महावीर के मौलिक मंतव्य मर्यादाएं : धर्मसंघ की आधार महावीर दर्शन के कुछ आकर्षक बिन्दु महावीर : समूचे विश्व की धड़कन महिलाएं करवट लें महिलाओं में आत्मविश्वास का उदय हो मानव जाति के आराध्य - मानसिक शक्तियां और शराब मुक्ति का उपाय युवक जीवन-निर्माण की दिशा में जागरूक बनें युवकों में करणवीर्य का प्रस्फोट हो युवकों को दिशाबोध युवापीढ़ी अपनी क्षमता को पहचाने लक्ष्य हमारा एक हो लक्ष्य की ओर बढ़ो वर्धमान से महावीर विधायकों का दायित्व शान्ति : कितनी बाहर, कितनी भीतर ? श्रमण संस्कृति के तीन सूत्र श्रावकत्व की गरिमा संकल्प का सुपरिणाम संकल्प की धुरी पर सत्य का दर्पण : मैत्री का प्रतिबिम्ब समाज सावधान ! सफलता की कुंजी स्याद्वाद को प्रायोगिक रूप दें हर क्षण जागरूकता की अपेक्षा Jain Education International For Private & Personal Use Only ३३५ जन० ८४ मई, सित० ७७ मई ७४ दिस० ८२ मार्च ८३ अप्रैल ८२ अप्रैल ८१ जन० ८१ दिस० ७८ अग० ७२ युश० मई-जून ७२ जून ८० अग० ७४ नव० ७८ जन० ७४ अक्टू० ७९ फर० ८३ दिस० ८३ अप्रैल ८४ जून ७९ जुलाई ७९ अग० ८१ मार्च-अप्रैल ७९ मई ८१ दिस० ७६ अग० ८२ अग० ७२ जुलाई ८४ अप्रैल ८० अग० ८० www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708