Book Title: Acharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Author(s): Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati

Previous | Next

Page 700
________________ ३८६ आ० तुलसी साहित्य : एक पर्यवेक्षण मेरा धर्म मेरा धर्म : केन्द्र और परिधि (वही, प्रथम सं० १९८८) राजधानी राजधानी में आचार्य तुलसी के संदेश (मारवाड़ी प्रकाशन) राजपथ राजपथ की खोज (आदर्श साहित्य संघ, द्वि० सं० १९८८) वि दीर्घा विचार दीर्घा (वही, प्र० सं० १९८०) वि वीथी विचार वीथी (वही) विश्व शांति विश्वशांति और उसका मार्ग (श्री जैन श्वे० तेरापंथी महासभा) शांति के शांति के पथ पर दूसरी मंजिल (आदर्श साहित्य संघ) संदेश संदेश (वही) संभल सयाने ! (जैन विश्व भारती, द्वि० सं० १९९२) सफर सफर : आधी शताब्दी का (आदर्श साहित्य संघ, १९९१) समता समता की आंख : चरित्र की पांख (वही, प्र० सं० १९९१) समाधान समाधान की ओर (अ० भा० तेरापंथ युवक परिषद्) साधु साधु जीवन की उपयोगिता (श्री जैन श्वे० तेरापंथी महासभा) सूरज ढल ना जाए (जैन विश्व भारती, द्वि० सं० १९९२) सोचो! सोचो ! समझो !! १-३ (जैन विश्व भारती, प्र० सं० १९८८) संभल Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708