Book Title: Acharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Author(s): Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 645
________________ परिशिष्ट २ रचनात्मक मस्तिष्क का निर्माण राष्ट्र की एक ही अपेक्षा — अनुशासन राष्ट्र की वर्तमान स्थितियों में खाद्यसंयम आवश्यक राष्ट्र की स्थिति और धर्म राष्ट्र-निर्माण और धर्म राष्ट्रीय चेतना के विकास में अणुव्रत राष्ट्रीय समस्याएं और गणतंत्र राष्ट्रीय समस्याओं का समाधान - - अनुशासन राष्ट्रीय हित के लिए धर्मगुरु भी जिम्मेवार रोग का सही निदान लड़के-लड़कियों को ही नहीं, अपने आपको भी बेच डाला लोकतंत्र के लिए सत्य और अहिंसा की प्रतिष्ठा आवश्यक लोकपथ व आत्मपथ का निर्माण वर्तमान युग में अणुव्रत की अपेक्षा वस्तुतः शोषणकर्ता धार्मिक है ही नहीं वास्तविक ज्ञान तो वह है, जिससे आत्मा का चैतन्य प्रकाश में आये विचार- परिवर्तन के साथ व्यवस्था परिवर्तन आवश्यक विचारों के उजलेपन के बिना व्यक्ति पवित्र नहीं, अपवित्र है विज्ञान का दुरुपयोग विद्या क्यों पढ़ी जाए ? विद्यार्थियों से बहुत बड़ी आशा है विधार्थी जीवन का निर्माण विद्यार्थी राष्ट्र की अमूल्य निधि है विलक्षण उपहार विश्व मैत्री का आधार — अहिंसा विश्वशान्ति एवं अणुव्रत व्यक्ति और समाज निर्माण का मार्ग : अणुव्रत व्यापारी सत्य व ईमानदारी को प्रश्रय दें Jain Education International व्रत जीवन की कला है व्रत - पालन में किसी प्रकार का दबाव या अहसास नहीं होना चाहिए व्रतबोध व्रतों का महत्व शराबबन्दी लोकहित के लिए अपेक्षित है For Private & Personal Use Only ३३१ १ जून ६८ १६ जन० ८२ १५ नव० ६६ १ मई ७० १५ अक्टू० ५७ १ फर० ८१ १६ जन० ६८ १ सित० ८१ १६ जून ६७ संयम अंक ५८ १ मार्च ५७ १ दिस० ६९ जन० २३ मई ४९ १ अक्टू० ५८ १५ मार्च ५८ १ जून ५७ १६ सित० ७५ १ अप्रैल ५६ २६ दिस० ८२ संयम अंक ५८ १५ सित० ५८ १ जन० ७० १६ अग० ६७ नव० ७९ जन०८ जुलाई ४९ १ अग० ६५ १ नव० ६५ १ अप्रैल ५९ १६ अप्रैल ६७ १ नव० ५६ १५ अग० ६२ १ व १५ फर० ५९ १ मार्च ७३ www.jainelibrary.org

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