Book Title: Acharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Author(s): Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 623
________________ परिशिष्ट २ ३०१ परमात्मा परमार्थ साधना का मार्ग : धर्म परिग्रह का अंत करो परिग्रह के गर्भ में दुःख और पश्चात्ताप परिवर्तन का आधार परिवर्तन का सिद्धांत परिवर्तन को परखें परिवर्तन : जीवन का आवश्यक अंग' परिस्थिति का अनुगमन मानसिक दुर्बलता है परिस्थितियों का दास बनना कायरता है पर्दा कायरता का प्रतीक और असंयम का पोषक पर्युषण, उसका महत्त्व और भावना पर्युषण का आराधना मंत्र पर्युषण : जागरण, प्रतिगति और प्रगति का प्रतीक पर्व दिन की प्रेरणा पर्व धर्म की उपयोगिता पवित्रता का अर्थ ऊपरी सफाई नहीं पात्र कौन ? पाप छोड़ने में कभी शीघ्रता नहीं होती पुरुषार्थ का अंकन पुरुषार्थ की सफलता पुरुषार्थ ही विकास का हेतु' पूंजीवादी मनोवृत्ति : जीवन शुद्धि का प्रशस्त पथ । पैसों से मिलने वाली शिक्षा जीवन तक कैसे पहुंचेगी ? प्रकृति और विकृति प्रतिस्पर्धा की पराजय प्रमाद को छोड़ों प्रमाद त्यागें प्रवचन का अधिकारी ६ जुलाई ६९ २९ अक्टू० ७२ वि० नव० ४७ २३ जुलाई ७२ २५ मई ६९ ६ अप्रैल ६९ १९ अग० ७३ ९ मई ६५ २० नव० ६६ २५ सित०६० १८ सित०६० सित० ५२ १४ सित०६९ २९ अग० ७६ १९ मार्च ७२ __ जन० ६९ १० जून ७३ ४ अग० ६३ वि० १९ अग० ५१ ३ मई ८१ जन०७० ७ नव० ७१ ११ अग० ७३ ४ सित० ६० २२ जून ६९ २४ अग० ८० १७ मई ७० १८ जून ७२ २३ फर० ६९ १. १०-८-६७ अहमदाबाद । २. मर्यादामहोत्सव शताब्दी समारोह, अणुव्रत प्रेरणा दिवस । ३.१-१२-६८ मद्रास । ४. २२-८-६८ मद्रास । ५. २४-७-६७ अहमदाबाद । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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