Book Title: Acharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Author(s): Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 635
________________ परिशिष्ट २ समाज परिवर्तन की दिशा' समाज में परिवर्तन आवश्यक समाजभूषण स्व० छोगमलजी चौपड़ा समाज-सेवकों से समूचा राष्ट्र आज लक्ष्मी की पूजा करने में पागल हो रहा है सम्प्रदाय सत्य का माध्यम बना रहे, स्वयं सत्य न बने सम्यग्ज्ञान और सर्वांगीण दृष्टिकोण सम्यग्ज्ञान-दर्शन- चारित्र सम्यग्ज्ञान - दर्शन- चारित्राणि मोक्षमार्गः सम्यग्दृष्टि सम्यग् दृष्टिकोण की अपेक्षा सम्यग्दृष्टि के व्यवहार के आधार स्तंभ सर्वधर्म समन्वय का प्रतीक सही देखो, समझो और करो सहिष्णुता की प्रतिमूर्ति साधना : आत्म धर्म साधना : एक रहस्य साधना और अनुशासन साधना का पथ क्या है ? 3 साधना का प्रभाव ३ साधु का क्या स्वागत और क्या विदाई साधुता और सच्चरित्रता साधु संस्था का भविष्य सापेक्ष सत्य ४ सामाजिक जीवन और अहिंसा की सम्भावना सामाजिक परिवर्तन सामायिक साम्प्रदायिकता से सावधान साम्प्रदायिक मतभेदों को चिन्तन का ही विषय रखें १. १०-२-५४, राणावास । २. ५-४-८३ । ३. २५-८-६७ अहमदाबाद । Jain Education International ३२१ २३ मई ५४ २४ अग० ६९ ३ मई ७० २१ सित० ५८ २४ मई ६४ For Private & Personal Use Only ३१ दिस० ६७ २१ मई ७२ १४ दिस० ६९ १८ जून ६१ २४ अप्रैल ८३ ३ जन० ७१ २३ अप्रैल ७२ ६ दिस० ७० २६ जन० ६४ २४ मई ७० १० जन० ७१ १० मई ८१ २ मई ७१ ९ फर० ५८ १२ अक्टू० ६९ सित० ६९ जन० ५१ ६ अक्टू० ६८ ७ दिस० ६९ १० अक्टू० ७१ मई ४९ २३ फर० ६९ २५ अक्टू० ७० ३० जून ५७ ४. ३०-१०-६७ अहमदाबाद ५. १८-१०- ७० रायपुर www.jainelibrary.org

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