Book Title: Acharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Author(s): Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 633
________________ परिशिष्ट २ संयम : आत्मविकास की राढ़ संयम : एक कसौटी संयमः खलु जीवनम् संयम की सहचरी मर्यादाएं संयम जीवन की मर्यादा है संयम से ही शान्ति और प्रगति संभव संवत्सर प्रतिलेखन संवत्सरी मानवता का पर्व है। संवेग और उसका परिणाम संसार की दशा संसार चरित्र को भूलता जा रहा है। संसार परिवर्तनशील है संस्कार डालने की कला संस्कार ही मूल है सच्च लोयम्मि सारभूयं ' सच्चा अहिंसक सच्ची आजादी : धर्ममय जीवन - सच्ची शान्ति त्याग में सच्चे श्रावक सतयुग की अपेक्षा क्या है ? 3 - सत्य एक है - सत्य और अहिंसा व्यवहार में आए सत्य और जीवन सत्य का व्यावहारिक प्रयोग सत्य की उपासना सत्य की साधना सत्य के बिना काम नहीं चल सकता सत्यग्राही दृष्टि सत्यवादी कौन ? सत्य विजयी नहीं, सत्य सार है। १. २१-८-६८ मद्रास । २. २४-७- ५३ जोधपुर । Jain Education International ३१९ १० मई ७० २ अप्रैल ७२ २८ मार्च ६८ ९ जुलाई ७२ १८ मई ५८ १ सित० ८० २२ अग० ७१ ११ सित ० ६० ६ अक्टू० ६३ १६ मई ६५ २८ मई ६१ ७ सित० ७४ १६ मई ७१ २० दिस० ६४ ६ अगस्त ५३ १४ दिस० ६९ १४ मार्च ५४ / २६ जन० ५४ वि०८ फर० ५२ For Private & Personal Use Only अक्टू० ५० २१ दिस० ६९ जून ६९ २९ नव० ७० अप्रैल ५२ ५ अक्टू० ८० १२ जन० ५८ २९ मार्च ५९ ३१ मार्च ५७ १० मई ७० ९ दिस० ६२ ११ जून ६१ ३. १४-११-६७ अहमदाबाद । www.jainelibrary.org

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