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आ० तुलसी साहित्य : एक पर्यवेक्षण
है। इसमें उनके कर्तृत्व के अनेक आयाम जैसे पदयात्राएं, साहित्य-सृजन, अणुव्रत आंदोलन, नया मोड़ आदि का भी विवेचन प्रस्तुत किया है। उनके जीवन के अनेक प्रेरक संस्मरणों को जोड़ने से यह जीवनीग्रंथ अत्यन्त उपयोगी बन गया है । ग्रन्थ के अन्त में तीन महत्त्वपूर्ण परिशिष्ट भी जोड़े गए हैं।
आज से ३१ वर्ष पूर्व लिखित यह पुस्तिका उनके जीवन-दर्शन को समझने में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है।
आचार्य तुलसी : जीवन-यात्रा पुस्तिका के रूप में प्रकाशित इस जीवनवृत्त में आचार्य तुलसी के महनीय व्यक्तित्व की संक्षिप्त झांकी प्रस्तुत की गयी है। इसमें महाश्रमणी साध्वीप्रमुखा कनकप्रभाजी की कलम ने तो उनके सतरंगे व्यक्तित्व को उभारा ही है साथ ही अनेक रंगीन चित्रों को देने से उनका व्यक्तित्व अधिक मुखर हो उठा है । आहार, विहार, प्रवचन, स्वाध्याय, ध्यान, आसन आदि अनेक क्रियाओं से सम्बन्धित रंगीन चित्रों को देने से यह पुस्तक नयनाभिराम एवं हृदयग्राही बन पड़ी है। अपने दूसरे संस्करण (१९९२) में यह पुस्तक बिना चित्रों के केवल जीवनी रूप में छपी है।
अमृत पुरुष आचार्य काल के ५० वर्ष सम्पन्न होने पर उनके अभिनंदन में विशालस्तर पर अमृत महोत्सव की आयोजना की गयी। समाज के गरल को पीने वाले इस अमृत पुरुष के जीवन के विविध आयामों की जीवन्त प्रस्तुति 'अमृत पुरुष' पुस्तक में हुई है। क्योंकि इस पुस्तक में शब्द कम, पर चित्र अधिक बोल रहे हैं। विशिष्ट व्यक्तियों से राष्ट्रीय एवं सामाजिक संदर्भ में चिन्तन-विमर्श करते हुए तथा विभिन्न मुद्राओं में कार्य करते हुए उनके चित्र दर्शक को बांध लेते हैं। साथ ही इसमें अन्य विचारकों के विचारों को भी उद्धृत किया है। ये विचार उनको सम्पूर्ण मानव जाति के महान उद्धारक के रूप में प्रतिष्ठित करते हैं। निःसंदेह एक अपरिचित व्यक्ति भी इस पुस्तक में उनकी छवि को देखकर श्रद्धा से अभिभूत हुए बिना नहीं रह सकेगा।
आचार्यश्री तुलसी: जीवन झांकी छगनलाल शास्त्री द्वारा लिखी गयी यह लघु पुस्तिका आचार्यश्री के अणुव्रत अनुशास्ता रूप को उजागर करने वाली है। इस आलेख में शास्त्रीजी ने उनकी पदयात्राओं का भी संक्षिप्त ब्यौरा प्रस्तुत किया है ।
एक सम्पूर्ण व्यक्तित्व : आचार्यश्री तुलसी इस पुस्तिका की लेखिका साध्वीप्रमुखा कनकप्रभाजी हैं। उन्होंने
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