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आ• तुलसी साहित्य : एक पर्यवेक्षण
गृहस्थ मुक्तिपथ २१५/१९९ बूंद बूंद १
१६९ वि बीथी प्रज्ञापर्व घर
जीवन प्रज्ञापर्व वि दीर्घा मंजिल १ कुहासे
११३
१४७ १४९
कुहासे
कुहासे
२१८
अक्षय तृतीया अक्षय तृतीया अक्षय तृतीया चैतन्य जागृति का पर्व : अक्षय तृतीया अंधकार को मिटाने का प्रयास पयुषण पर्व अपने घर में लौट आने का पर्व चेतना की जागृति का पर्व पर्युषण पर्व : एक प्रेरणा पर्युषण पर्व दो रत्ती चंदन मन की ग्रंथियों का मोचन पर्युषण पर्व : प्रयोग का पर्व स्वास्थ्य का पर्व विश्वमैत्री का पर्व : पर्युषण पर्युषण क्षमा और मैत्री का प्रतीक है। संवत्सरी" पर्युषणा मैत्री का पर्व आत्मशोधन का पर्व जीवन का सिंहावलोकन आराधना मंत्र खमतखामणा : एक महास्नान' पर्युषण पर्व अपेक्षा है एक संगीति की त्रिवेणी स्नान संवत्सरी कब ? सावन में या भाद्रपद में १. ४-५-६५ जयपुर। २. २-५-५७ लाडनूं । ३. २२-८-७६ सरदारशहर । ४. २५-८-५४ बम्बई (सिक्कानगर)। ५. १९६७, अहमदाबाद । ६. १३-९-५३ जोधपुर।
२३६
कुहासे
२४० अतीत का
१५१ भोर धर्म एक
२३५ धर्म एक गृहस्थ मुक्तिपथ २११/१९३ प्रवचन ९
२४३ आ० तु
१८० गृहस्थ/मुक्तिपथ २१३/१९५ प्रवचन १० प्रवचन ९
२३९ राज/वि दीर्घा २०४/२३६ शांति के
२०५ अमृत ७. ७-९-५० हांसी।। ८.७-९-७८ गंगानगर। ९.५-८-५३ जोधपुर। १०.५-९-५३ पर्युषण पर्व समारोह,
जोधपुर।
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