SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 484
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १७० आ• तुलसी साहित्य : एक पर्यवेक्षण गृहस्थ मुक्तिपथ २१५/१९९ बूंद बूंद १ १६९ वि बीथी प्रज्ञापर्व घर जीवन प्रज्ञापर्व वि दीर्घा मंजिल १ कुहासे ११३ १४७ १४९ कुहासे कुहासे २१८ अक्षय तृतीया अक्षय तृतीया अक्षय तृतीया चैतन्य जागृति का पर्व : अक्षय तृतीया अंधकार को मिटाने का प्रयास पयुषण पर्व अपने घर में लौट आने का पर्व चेतना की जागृति का पर्व पर्युषण पर्व : एक प्रेरणा पर्युषण पर्व दो रत्ती चंदन मन की ग्रंथियों का मोचन पर्युषण पर्व : प्रयोग का पर्व स्वास्थ्य का पर्व विश्वमैत्री का पर्व : पर्युषण पर्युषण क्षमा और मैत्री का प्रतीक है। संवत्सरी" पर्युषणा मैत्री का पर्व आत्मशोधन का पर्व जीवन का सिंहावलोकन आराधना मंत्र खमतखामणा : एक महास्नान' पर्युषण पर्व अपेक्षा है एक संगीति की त्रिवेणी स्नान संवत्सरी कब ? सावन में या भाद्रपद में १. ४-५-६५ जयपुर। २. २-५-५७ लाडनूं । ३. २२-८-७६ सरदारशहर । ४. २५-८-५४ बम्बई (सिक्कानगर)। ५. १९६७, अहमदाबाद । ६. १३-९-५३ जोधपुर। २३६ कुहासे २४० अतीत का १५१ भोर धर्म एक २३५ धर्म एक गृहस्थ मुक्तिपथ २११/१९३ प्रवचन ९ २४३ आ० तु १८० गृहस्थ/मुक्तिपथ २१३/१९५ प्रवचन १० प्रवचन ९ २३९ राज/वि दीर्घा २०४/२३६ शांति के २०५ अमृत ७. ७-९-५० हांसी।। ८.७-९-७८ गंगानगर। ९.५-८-५३ जोधपुर। १०.५-९-५३ पर्युषण पर्व समारोह, जोधपुर। ८२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003117
Book TitleAcharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy