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________________ शिक्षा और संस्कृति संभल १५५ ७० २३२ क्षमा का पावन संदेश देने वाला पर्व' पन्द्रह अगस्त बीती ताहि विसारि दे आत्ममन्थन का पर्व नियम का अतिक्रम क्यों ? स्वतंत्रता और परतन्त्रता गणराज्य दिवस स्वयं से शुभ शुरूआत करें क्या भारत स्वतंत्र है ? असली आजादी अपनाओ' स्वतंत्रता की उपासना अनाचार का त्याग करो भारत के आकाश में नया सूर्योदय स्वतंत्र भारत और धर्म स्वतंत्रता क्या है ? १० आत्मानुशासन सीखिए" बीती ताहि बीती ताहि शांति के जब जागे धर्म एक प्रवचन १० प्रवचन ९ संदेश आ० तु आ० तु संदेश जीवन आ० तु/संदेश आ० तु शांति के २०८ १८/१८६ १९८ १३ ४५ २०२/३ २१० ५० १.१६-९-५६ सरदारशहर । दिवस, छापर। २. १५-८-५३ स्वतन्त्रता दिवस, ८. १५-८-४८ द्वितीय स्वाधीनता जोधपुर। दिवस, छापर। ३. २६-१-६८ बम्बई । ९. १५-८-४९ तृतीय स्वतन्त्रता दिवस, ४. १५-८-७८ गंगाशहर । जयपुर। ५. १५-८-५३ जोधपुर। १०. १५-८-५० चतुर्थ स्वाधीनता दिवस, ६. १५-८-४७ प्रथम स्वाधीनता हांसी। - दिवस, रतनगढ़। ११. १५-८-५१ पंचम स्वाधीनता दिवस, ७. १५-८४८ द्वितीय स्वाधीनता दिल्ली । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003117
Book TitleAcharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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