Book Title: Acharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Author(s): Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 614
________________ ३०० मा० तुलसी साहित्य : एक पर्यवेक्षण क्रांति जून ४९ क्रांति, धर्म की समाप्ति के लिए नहीं, शुद्धि के लिए १५ नव० ७० क्षमत-क्षमापन ७ दिस० ५८ क्षमा १० जून ७३ क्षमा बड़न की होत है १ जुलाई ७५/१५ सित०७४ क्षमा याचना १९ सित० ६५/२ अक्टू० ६६ खाद्यसंयम १५ मार्च ८१ गरीबी की परिभाषा ९ नव० ५८ गांधीजी का आध्यात्मिक जीवन फर० ४९ गुण-ग्राहकता' ३ अक्टू० ७१ गुणों का स्रोत : मनुष्य ९ जून ६८ गुरु कैसा हो? १ अप्रैल ५९ ग्राह्य और त्याज्य ३१ मई ५९ घर को बड़ा बनाइए ६ सित० ७० चतुर्विध संघ विशेष ध्यान दे ४ अक्टू० ८४ चरित्र को सम्मान मिले, धन और पद को नहीं नव०-दिस० ६८ चरित्र धर्म ही विश्व धर्म बन सकता है १७ सित० ६७ चरित्र निर्माण का प्रशिक्षण आवश्यक २४ दिस० ६७ चरित्र निर्माण की आवश्यकता मई-जून ५० चरित्र निर्माण के बिना राष्ट्र ऊंचा नहीं उठ सकता ३१ अग० ५८ चरित्र विकास के लिए समन्वित प्रयास हो २१ जूम ७० चरित्र सम्पन्न व्यक्ति नव०-दिस० ६९ ६ अग• ५३ चातुर्मास : धर्म की खेती का समय ५ अग० ५६ चारित्रिक और नैतिक कसौटी को चुनाव के साथ नत्थी किया जाय २३ दिस० ८४ चारित्रिक रोगों की प्राकृतिक चिकित्सा-अणुव्रत-आंदोलन १ मार्च ५९ चिन्तन की दो दृष्टियां २ सित० ७९ चेतावनी ३१ मार्च ६८ छात्र राजनीति के दुश्चक्र में न पड़कर सदाचारी बनें ११ जन० ५९ जन-जन का धर्म : जैन धर्म २४ मार्च ६३ चातुर्मास' - १. २०-९-६६ बीदासर । २.४-११-६८ मद्रास । ३. २५-७-५३ जोधपुर। ४. १६-७-५७ सरदारशहर । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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