Book Title: Acharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Author(s): Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 586
________________ २७२ शिक्षा का उद्देश्य : प्रज्ञा जागरण शिक्षा का कार्य है चरित्र-निर्माण शिक्षा का ध्येय शिक्षा का फलित-आचार शिक्षा का फलित-साधना शिक्षा का सही लक्ष्य शिक्षा की निष्पत्ति : अखंड व्यक्तित्व का निर्माण शिक्षा की पात्रता शिक्षा की सार्थकता शिक्षा के क्षेत्र में प्रयोग का अवसर शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ता प्रदूषण शिक्षा जीवन-मूल्यों से जुड़े शिक्षानुशीलन शिक्षा में अणुव्रत - आदर्शों का समावेश हो शिक्षार्थी की अर्हता शिक्षा व साधना की समन्विति शिक्षाशास्त्रियों से शिखर से तलहटी की ओर शिविर जीवन शिविर साधना शुद्ध जीवन-चर्या शुद्ध साध्य के लिए शुद्ध साधना जरूरी शुभ - अशुभ दीर्घायुष्य बंधन के कारण शोषण मुक्त समूह - चेतना शोषण विहीन समाज का स्वरूप शोषण विहीन समाज रचना शोषण : समाज की बुराई श्रद्धा : उर्वरा भूमि श्रद्धा और आचरण श्रद्धा और आचार की समन्विति श्रद्धा और चारित्र श्रद्धा और ज्ञान Jain Education International आ तुलसी साहित्य : एक पर्यवेक्षण आलोक में प्रवचन ९ संभल भोर प्रवचन ५ सूरज क्या धर्म समता बैसाखियां कुहासे जब जागे प्रज्ञापर्व सूरज घर प्रवचन ११ प्रवचन १० जन-जन बैसाखियां सूरज प्रेक्षा संभल सफर / अमृत मंजिल २ आलोक में अणु गति / अणु संदर्भ अणु गति / अणु संदर्भ समता / उद्बो घर मुक्तिपथ / गृहस्थ आगे प्रवचन ९ प्रवचन ९ For Private & Personal Use Only १०९ २०६ २०८: २५. ३३ १८३ १३४ २०९ १४० १३३ ५५ ८७. १९३ ४८ १६० ६२ २२ ३४ ९४ ७३ १०१ १२३/८९ १०६. २० १३२/१४१ १३५/२१ ६७/६७ १६९ १३२/१३७ १३४ ६१ www.jainelibrary.org

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