________________
मुखड़ा
१२
आ० तुलसी साहित्य : एक पर्यवेक्षण अनुशासन है मुक्ति का रास्ता
दीया
२० समूह और मर्यादा निर्देश के प्रति सजग
समता/उद्बो १७७/१८० विपर्यय हो रहा है
ज्योति के क्षमा और मैत्री क्षमा है अमृत का सरोवर
कुहासे
१६७ क्षमा बड़न को होत है
राज/वि वीथी १५९/१०६ मैत्री और सेवा
बीती ताहि मैत्री का रहस्य
समता/उद्बो २०१/२०४ मैत्री और राग'
आगे की
२४१ मैत्री क्या क्यों और कैसे ?
अमृत/सफर १०३/१३७ मैत्री भावना से शक्ति संचय
बूंद बूंद १ मैत्री दिवस
मंजिल १ न स्वयं व्यथित बनो, न दूसरों को व्यथित करो । मंजिल २/मुक्ति इसी ४३/६५ सुख का मूल : मैत्री भावना
बूंद बूंद १ विश्वमैत्री
प्रवचन ९ विश्वमैत्री का मार्ग
संभल
१७१ श्रामण्य का सार : उपशम
घर
१९५ जीवन का शाश्वत मूल्य : मैत्री
बूंद बूंद २ हम निःशल्य बनें"
सोचो ! १
१३८ समझौतावादी बनें
सोचो ! १
१३२ खमतखामना
भोर
१२६ शांति के
१२
'५०
७३
क्षमा
२०६
त्याग अर्चा त्याग की"
सोचो ! ३
२२६
१. २-५-६६ रायसिंहनगर। २. ३०-१०-७६ सरदारशहर । ३. ११-४-५३ गंगाशहर । ४. ३०-११-५६ सप्रू हाऊस, दिल्ली। ५. सुजानगढ़। ६. १२-९-६५ दिल्ली।
७. १९-९-७७ लाडनूं । ८. १२-९-७७ लाडनूं । ९. ३-९-५४ बम्बई। १०. १३-९-५३ क्षमापना दिवस । ११.४-६-७८ चाडवास ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org