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आ० तुलसी साहित्य : एक पर्यवेक्षण
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लेश्याध्यान जैन योग में कुंडलिनी आभामण्डल तेजोलब्धि : उपलब्धि और प्रयोग मानसिक शांति का आधार शांति का हेतु : पर्यावरण की विशुद्धि लेश्या के वर्गीकरण का आधार भावधारा और आभावलय की पहचान अप्रशस्त भावधारा और उससे बचने के उपाय व्यक्तित्व-निर्माण में भावधारा का योग भावविशुद्धि में निमित्तों की भूमिका आत्मिक अनुभूति क्या है ? अनुप्रेक्षा ध्यान और स्वाध्याय का सेतु अभ्यास की मूल्यवत्ता अनुप्रेक्षा से दूर होता है विषाद शांति का बोधपाठ बदलाव का उपक्रम : भावना'
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प्रेक्षा प्रक्षा दीया दीय। प्रवचन १०
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१. १९-३-७९ दिल्ली (महरौली)।
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