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मा० तु० साहित्य : एक पर्यवेक्षण प्रवचन ४
१४६ प्रवचन ११
संभल
१३८
२१०
१२०
१६२
घर सोचो ! ३ मंजिल ? सोचो! १ आगे की प्रवचन ५ मनहंसा सोचो! ३ जीवन की
३५
२०२
९८
कुहासे
१५५
१४९
सोचो ! १ घर घर
श्रमनिष्ठा और कर्तव्यनिष्ठा को जगाएं कल्याण का सूत्र पुरुषार्थवाद' विकास का दर्शन प्रतिरोधात्मक शक्ति जगाएं भाग्य और पुरुषार्थ नियति और पुरुषार्थ नियति और पुरुषार्थ प्रकृति और पुरुषार्थ समाज और स्वावलम्बन स्वावलम्बन अपना भविष्य अपने हाथ में कर्तृत्व अपना धैर्य और पुरुषार्थ का योग" श्रम और संयम पुरुषार्थ के भेद" मानव जीवन अनूठी दुकान : अनोखा सौदा मानवता की परिभाषा४ मनुष्य महान् कब तक'५ मनुष्य जीवन का महत्त्व १६ जीवन और लक्ष्य समय को पहचानों १. २३-९-७७ जैन विश्व भारती। २. ९-१२-५३ निमाज । ३. १५-७-५६ सरदारशहर । ४. १०-१०-५७ सुजानगढ़। ५. १५-१-७८ जैन विश्व भारती। ६. २०-३-७७ जैन विश्व भारती। ७. २९-९-७७ जैन विश्व भारती। ८.२१-२-६६ नोहर। ९.७-१-७८ जैन विश्व भारती।
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राज/वि दीर्घा १६०/१६१ सूरज सोचो ! ३
२३३ प्रवचन ११ प्रश्न
प्रवचन ११ १०. १४-१-७८ जैन विश्व भारती। ११. २५-९-७७ जैन विश्व भारती । १२. २६-५-५७ लाडनूं । १३. लाडनूं । १४. १०-७-५५ उज्जैन । १५. ५-६-७८ बीदासर । १६. १२-३-५४ जोजावर । १७. ३-१२-५३ सिलारी।
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