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जैनदर्शन
कर्मवाद
१६५ . २३४
१२६
१८२
२४
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१०८
१९७ २०२
कर्मवाद कर्म कर्ता का अनुगामी जीव अजीव का द्विवेणी संगम कर्म एवं उनके प्रतिफल सुख दुःख का सर्जक स्वयं कठिन है बुराई का भेदन कर्मवाद के सूक्ष्म तत्त्व कर्मसिद्धांत कर्मवाद का सिद्धांत उपयोगितावाद दृष्टि की निर्मलता संबंधों की यात्रा का आदि बिंदु कर्मबंधन का हेतु : राग द्वेष' कर्मबंधन के स्थान कर्मबंध के कारण अल्पायुष्य बंधन के हेतु" अल्पायुष्य बंधन के हेतु" दीर्घायुष्य बंधन के कारण१२ शुभ अशुभ दीर्घायुष्य बंधन के कारण" देव आयुष्य बंधन के कारण कर्म को प्रभावहीन बनाया जा सकता है उपादान निमित्त से बड़ा
मंजिल १ बूंद-बूंद १ जब जागे सोचो ! ३ बूंद-बूंद २ जब जागे भोर भगवान् प्रवचन ११ मुखड़ा मुखड़ा जब जागे प्रवचन ५ मंजिल २ सोचो! ३ मंजिल २ मंजिल २ मंजिल २ मंजिल २ मंजिल २ जब जागे मुखड़ा
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१०१ १०४
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१. ६-५-७७ चाडवास २. ३०-६-६५ दिल्ली ३. ६-४-७८ लाडनूं ४. २८-७-६५ दिल्ली ५. ३१-८-५४ बम्बई ६.५-२-५४ राणावास ७. २७-११-७७ लाडनूं
८. ११-१०-७८ लाडन ९. २३-३-७८ लाडनूं १०. १४-४-७८ लाडनूं ११. १५-४-७८ लाडनूं १२. १६-४-७८ लाडनूं १३. १७-४-७८ लाडनूं १४. ५-१०-७६ सरदारशहर
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