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आ तुलसी साहित्य : एक पर्यवेक्षण
४. संस्मरणों का वातायन - साध्वी कल्पलता । ५. आस्था के चमत्कार ।'
अभिनन्दन ग्रंथ एवं पत्र-पत्रिका विशेषांक
आचार्यश्री के व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व को उजागर करने वाले साहित्य का चौथा स्रोत अभिनंदन ग्रंथ, विशिष्ट सामयिक स्मारिकाएं तथा पत्रपत्रिकाओं के विशेषांक हैं । किसी एक व्यक्ति पर उसके जीवन काल में ही समाज ने इतने विशेषांक निकाले हों या खुले शब्दों में उसके कर्तृत्व का इतना मूल्यांकन किया हो, यह इतिहास का दुर्लभ दस्तावेज है । अब तक उनके अभिनंदन में जैन भारती, अणुव्रत, प्रेक्षाध्यान, युवादृष्टि, तुलसी प्रज्ञा, तेरापंथ टाइम्स तथा विज्ञप्ति के सैकड़ों विशेषांक निकल चुके हैं। उन सबका ब्यौरा प्रस्तुत करना असंभव नहीं, तो कठिन अवश्य है । अनेक राष्ट्रीय एवं राज्यस्तरीय पत्र-पत्रिकाओं ने भी आचार्य तुलसी को विशेषांक के रूप में अपनी श्रद्धा अर्पित की है । यहां गद्य रूप में प्रकाशित मुख्य अभिनंदन ग्रंथों एवं कुछ मुख्य स्मारिकाओं का परिचय दिया जा रहा है आचार्यश्री तुलसी अभिनंदन ग्रंथ
आचार्यकाल के २५ वर्ष पूर्ण होने पर धवल समारोह के अवसर पर एक विशालकाय अभिनंदन ग्रंथ प्रकाशित किया गया । यह अभिनंदन ग्रंथ चार अध्यायों में विभक्त है । प्रथम अध्याय में आचार्यश्री के व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व पर अनेक मूर्धन्य विचारकों एवं साधु-साध्वियों के विचारों का समाहार है । इसमें आचार्यश्री के ऊर्जस्वल एवं तेजस्वी व्यक्तित्व की परिक्रमा अनेक लेखों, कविताओं, गीतों, संस्मरणों एवं अनुभूतियों के माध्यम हुई है ।
संक्षिप्त रूप है ।
अनेक विद्वानों,
दूसरा अध्याय 'जीवनवृत्त' नाम से है, जो मुनिश्री बुद्धमलजी द्वारा लिखित 'आचार्य श्री तुलसी : जीवन दर्शन' पुस्तक का ही तृतीय 'अणुव्रत' अध्याय में अणुव्रत आंदोलन के बारे में राजनेताओं एवं साहित्यकारों के विचार एवं प्रतिक्रियाएं संकलित हैं । चतुर्थ 'दर्शन और परंपरा' खंड में दार्शनिक और जैन परम्परा के इतिहास से संबंधित अनेक शोधपूर्ण निबंधों का समावेश है ।
यह अभिनंदन ग्रंथ उपराष्ट्रपति डॉ० सर्वपल्लि राधाकृष्णन् द्वारा १ मार्च १९६२ को गंगाशहर की पुण्यधरा पर आचार्यश्री को समर्पित किया
गया ।
१. इस पुस्तक को पूर्ण रूप से संस्मरण - साहित्य के अन्तर्गत नहीं रख सकते पर आचार्य तुलसी के नाम-स्मरण से होने वाली चामत्कारिक घटनाओं का उल्लेख है, अत: इसे संस्मरण साहित्य के अन्तर्गत रखा है ।
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