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आ० तुलसी साहित्य : एक पर्यवेक्षण
मुखड़ा दीया बूंद बूंद ! बूंद बूंद १ अतीत का
१७३ १३४ ११९
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जब जागे अतीत बूंद बूंद २ बूंद बूंद १ घर घर
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साधुओं की चर्या खिड़कियां सचाई की संन्यासी और गृहस्थ के कर्त्तव्य' मुनिचर्या : एक दृष्टि' जैन मुनि की आचार परम्परा : एक
सुलगता हुआ सवाल जीवन यापन की आदर्श प्रणाली पार्श्वस्थ अनुकरण किसका ? धर्मोपदेश की सीमाएं साधु का विहार-क्षेत्र साधु की श्रेष्ठता केशलुञ्चन : एक दृष्टि वस्त्रधारण की उपयोगिता क्या साधु वस्त्र रख सकता है ? अनार्य देशों में तीर्थंकरों और
मुनियों का विहार चातुर्मास और विहार प्रमाद और उसकी विशुद्धि" साधु-साध्वियों के परस्पर सम्बन्ध व्यवहार का प्रयोग कब और कैसे ? १३ भिक्षाचरी : एक विवेक संघीय प्रवृत्ति का आधार ५ उपधि परिज्ञा
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मंजिल २ मंजिल २ मंजिल २
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अतीत
१६१ १४४
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बूंद बूंद २ जागो ! जागो! जागो! जागो ! जागो ! जागो!
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१. २८-४-६५ जयपुर । २. ३०-४-६५ जयपुर । ३. ५-७-६५ दिल्ली । ४. ५-५-६५ जयपुर। ५. १८-३-५७ लाडनूं । ६. बीदासर। ७. १०-४-७८ लाडनं । ८. २४-५-७८ लाडनूं।
९. २३-५-७८ लाडनूं । १०. १९-९-६५ दिल्ली । ११. १६-९-६५ दिल्ली। १२. २०-९-६५ दिल्ली। १३. ६-१०-६५ दिल्ली। १४. ९-१०-६५ दिल्ली। १५. ५-१०-६५ दिल्ली। १६. ३०-९-६५ दिल्ली।
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