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आ० तुलसी साहित्य : एक पर्यवेक्षण
यात्रा-साहित्य
पदयात्रा जैन मुनियों की जीवन-शैली का अनिवार्य तत्त्व है । यह केवल पद-घर्षण नहीं, अपितु उनकी साधना और तपस्या का जीवन्त रूप है। पदयात्रा से दृष्टि ही पैनी नहीं बनती, अनुभव का खजाना भी समृद्ध होता है तथा अनेक व्यक्तियों के सम्पर्क से मानव-स्वभाव के विश्लेषण में सहायता मिलती है।
पदयात्रा के अनेक उद्देश्य हो सकते हैं । कुछ लोग केवल पर्यटन के लिए यात्रा करते हैं। कुछ लोग राजनैतिक एवं व्यावसायिक दृष्टि से यात्रा करते हैं तो कुछ कीर्तिमान स्थापित करने के लिए भी। जैन मुनियों की यात्रा संस्कृति को उज्जीवित करने वाली होती है, क्योंकि उनका एक मात्र उद्देश्य होता है-आत्म-साधना एवं सम्पूर्ण मानवता का कल्याण ।
__आचार्य तुलसी इस सदी के कीर्तिधर यायावर हैं, जिन्होंने भारत के लगभग सभी प्रांतों की पदयात्रा की है। गांव-गांव, नगर-नगर एवं प्रांतप्रांत में घूमते हुए उन्होंने मैत्री, समन्वय एवं सद्भाव की प्रतिष्ठा करने में अपूर्व योगदान दिया है तथा लाखों-लाखों लोगों से सीधा सम्पर्क स्थापित कर उन्हें व्यसनमुक्त जीवन जीने की प्रेरणा दी है । उनके इस चरैवेतिचरैवेति जीवनक्रम को देखकर निम्न वेदमन्त्र की सहसा स्मृति हो उठती है -'पश्य सूर्यस्य श्रेमाणं, यो न तन्द्रयते चरन्' अर्थात् सूर्य चिरकाल से भ्रमण कर रहा है पर कभी थकता नहीं, चलता ही जाता है ।।
आचार्य तुलसी अपनी पदयात्रा के मुख्य तीन उद्देश्य मानते हैं--- धर्मक्रांति, धर्म-समन्वय तथा मानवता का विकास। साध्वीप्रमुखाजी के शब्दों में आचार्य तुलसी की यात्रा स्वार्थ और परार्थ दोनों भूमिकाओं से ऊपर परमार्थ की यात्रा है । अपनी यात्रा का प्रयोजन बताते हुए एक प्रवचन में आचार्य तुलसी स्वयं कहते हैं.---'भाषा, रंग एवं भौगोलिकता में बंटी मानव जाति क्या सचमुच एक है, इस तथ्य की शोध करने के लिए मैं गांवगांव में घूम रहा हूं।' इस उद्धरण से स्पष्ट है कि उनके मन में मानव जाति की एकता की कितनी तड़प है ?
डा० निजामुद्दीन आचार्यश्री की यात्रा के बारे में अपनी विचाराभिव्यक्ति इन शब्दों में करते हैं --'आचार्यश्री की यात्रा धर्मयात्रा है, मैत्रीयात्रा है, प्रेमयात्रा है, समतायात्रा है और सेवायात्रा है।' दिगम्बर सम्प्रदाय के प्रसिद्ध आचार्य विद्यानन्दजी कहते हैं --'आचार्य तुलसी ने अल्पकाल में ही सम्पूर्ण भारत की पदयात्रा कर अध्यात्म से प्रेरित लोक कल्याणकारी भावनाओं का संकलन किया है और भारतीय जीवन में नैतिकशक्ति का संचार किया है।'
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