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आ० तुलसी साहित्य : एक पर्यवेक्षण
उन गांवों में पहुंचने की तारीख तथा कितने मील की पदयात्रा हुई, इसकी सूचनाएं हैं ।
पांव पांव चलने वाला सूरज
पंजाब भारत का उर्वर क्षेत्र है । क्षेत्र की भांति यहां का मानस भी उर्वर है । पंजाब यात्रा के दौरान आचार्य तुलसी ने जो अध्यात्म और संयम की पौध लगाई, उसे सिंचन दिया, उस सबका आलेखन हुआ है - 'पांव पांव चलने वाला सूरज' में । यात्रापथ में घटित घटना-प्रसंगों को लेखिका ने जिस सूक्ष्मता के साथ उकेरा है, वह पठनीय है। यात्राग्रन्थ की शृंखला में यह दूसरा ग्रन्थ है ।
५०४ पृष्ठों का यह ग्रन्थ पंजाबी भाइयों को सदैव एक महापुरुष द्वारा की गयी ऐतिहासिक यात्रा की स्मृति कराता रहेगा ।
जब महक उठी मरुधर माटी
इस ग्रन्थ में मारवाड़-यात्रा का वर्णन है । लगभग ४०५ पृष्ठों की इस पुस्तक में अनेक सन्देश, वक्तव्य एवं संस्मरणों का समावेश है । साथ ही कुछ दुर्लभ चित्र देने से यह ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण हो गया है । इसमें कुल ३३७ दिनों की यात्रा का विवरण है । सम्पूर्ण पुस्तक अनेक छोटे-छोटे आकर्षक शीर्षकों में बंटी हुई है ।
बहता पानी निरमला
इसमें आचार्य तुलसी की एक वर्ष की यात्रा का जीवन्त चित्र उकेरा गया है । प्रस्तुत यात्राग्रन्थ में मुख्यतः गुजरात, मरुधर एवं थोड़ी-सी थली यात्रा का वर्णन है । ३८१ पृष्ठों की यह पुस्तक राजस्थान और गुजरात इन दो भागों में बंटी है । जैसा कि इस कृति का नाम है 'बहता पानी निरमला' वैसा ही इसमें यात्रा का प्रवाहपूर्ण वर्णन गुंफित है । कहीं भी नीरसता बोझिलता या उबाऊपन दृग्गोचर नहीं होता ।
परस पांव मुसकाई घाटी
मेवाड़ की पावनधरा पर आचार्य तुलसी द्वारा हुए चरणस्पर्श की सजीव प्रस्तुति है 'परस पांव मुसकाई घाटी' । इस ग्रन्थ का ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से अतिरिक्त महत्त्व है, क्योंकि इसमें अमृत महोत्सव के दो चरणों का वर्णन है । आचार्यकाल के पचास साल पूर्ण होने के अवसर पर अमृत कलश पदयात्रा की आयोजना हुई, जिसमें लाखों लोगों ने संकल्प-पत्र ' १. अमृत संकल्पपत्र में पांच नियम थे—
(१) मद्य-निषेध (२) दहेज उन्मूलन (४) अस्पृश्यता निवारण (५) भावात्मक एकता ।
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(३) मिलावट - निरोध
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