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संकलित एवं संपादित साहित्य
आचार्य तुलसी के साहित्य से संकलन किया गया साहित्य भी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है । यहां हम उन पुस्तकों का परिचय दे रहे हैं, जो निबंध या प्रवचन के रूप में प्रकाशित नहीं हैं, वरन् दूसरों के द्वारा संकलित संपादित हैं। साथ ही आचार्यश्री के नाम से प्रकाशित उन पुस्तकों का परिचय भी दिया जा रहा है, जिनमें विचारों की अभिव्यक्ति स्फुट रूप से हुई है जैसे हस्ताक्षर, सप्त व्यसन आदि । शैक्षशिक्षा आचार्यश्री की स्वोपज्ञ कृति नहीं है, वरन् संकलन के रूप में इसका प्रणयन किया गया है अतः इसे मूल साहित्य के परिचय के अन्तर्गत नहीं दिया है।
अणुव्रत अनुशास्ता के साथ इसमें मुनि सुखलालजी ने २६ विषयों पर आचार्य तुलसी के साथ हुई वार्ताओं का संकलन किया है। इसमें प्रश्नकर्ता मुनि सुखलालजी हैं। उत्तर आचार्य तुलसी के हैं पर उनको भाषा मुनिश्री ने दी है अतः संकलित एवं संपादित ग्रंथ सूची में इसका परिचय दे रहे हैं ।
समाज, राष्ट्र, धर्म, शिक्षा एवं संस्कृति आदि से सम्बन्धित अनेक व्यावहारिक जिज्ञासाओं का सटीक समाधान इसमें प्रस्तुत है । प्रश्नोत्तरों के माध्यम से आचार्यश्री के मौलिक विचारों की अवगति देने वाली यह पुस्तक अनेक दृष्टियों से महत्त्वपूर्ण है।
अनमोल बोल आचार्य तुलसी के मुनि मधुकरजी द्वारा संकलित इस लघु पुस्तिका में यद्यपि सूक्तों की संख्या बहुत कम है पर इन सुभाषितों में एक वक्रता है, जिससे उनमें मर्मभेदन की कला प्रकट हो गयी है। उक्ति-वैचित्य के कारण ये सभी वाक्य मानव को कुछ सोचने, समझने एवं बदलने को मजबूर करते हैं।
___ लघु आकार की इस पुस्तिका को हर क्षण अपना साथी बनाया जा सकता है तथा तनाव से बोझिल मन को शांत करने के लिए कभी भी पढ़कर शांति प्राप्त की जा सकती है।
एक बूद : एक सागर (भाग १-५) साहित्य के मूल्यपरक. दिशासूचक एवं सारपूर्ण वाक्य का नाम सूक्ति है । सूक्तियों में मर्म का स्पर्श करने की शक्ति होती है। सूक्ति साहित्य का प्राचीन काल से अपना विशिष्ट महत्त्व रहा है, क्योंकि इसमें नीति और
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