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देश में गरीबी न रहे ।
● किसी प्रकार का धार्मिक संघर्ष न हो ।
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कोई किसी को अस्पृश्य मानने वाला न हो ।
कोई मादक पदार्थों का सेवन करने वाला न हो ।
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• खाद्य पदार्थों में मिलावट न हो ।
कोई रिश्वत लेने वाला न हो ।
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आ० तुलसी साहित्य : एक पर्यवेक्षण
कोई शोषण करने वाला न हो ।
कोई दहेज लेने वाला न हो ।
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• वोटों का विक्रय न हो ।'
नए वर्ष पर सम्पूर्ण मानव-जाति को उनके द्वारा दिए गए हेय और उपादेय के बोधपाठ राष्ट्र की अनेक समस्याओं को समाहित कर उसे विकास के पथ पर अग्रसर करने वाले हैं
"१. मनुष्य क्रूरता के स्थान पर करुणा का पाठ पढ़े ।
२. स्वार्थ के स्थान पर परमार्थ का पाठ पढ़े ।
३. अव्रत के स्थान पर अणुव्रत का पाठ पढ़े ।
४. धर्म-निरपेक्षता के स्थान पर धर्म सापेक्षता का पाठ पढ़े ।
५. अलगाववाद और जातिवाद के स्थान पर भाईचारे का पाठ
पढ़े ।
६. प्रान्तवाद और भाषावाद के स्थान पर राष्ट्रीय एकता और मानवीय एकता का पाठ पढ़े ।
७. धर्म को राजनीति से पृथक् रखने का पाठ पढ़े ।
८. राजनीति पर धर्म के नियन्त्रण का पाठ पढे ।
९. अपनी ओर से किसी का अहित न करने का पाठ पढ़े ।
मानव को मानवता सिखाने वाले ये पाठ शैशव को सात्त्विक
संस्कारों से संवारेंगे, यौवन को उद्धत नहीं होने देंगे और अनुभवप्रवण बुढ़ापे को भारभूत होने से बचाएंगे । २
आचार्य तुलसी ने केवल राष्ट्र की उन्नति एवं उत्कर्ष के ही गीत नहीं गाए, उसकी अधोगति के कारणों का भी विश्लेषण किया है । भारत की वार्तमानिक स्थितियों को देखकर अनेक बार उनके मन में पीड़ा के भाव उभर आते हैं । उनके साहित्य में अनेक स्थलों पर इस कोटि के विचार पढ़ने को मिलेंगे - ." 'स्टैण्डर्ड ऑफ लाइफ' के नाम पर भौतिकवाद, सुविधावाद और अपसंस्कारों का जो समावेश हिन्दुस्तानी जीवन-शैली में
१. एक बूंद : एक सागर, पृ० १६७७ | २. बैसाखियां विश्वास की, पृ० ११ ।
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