Book Title: Swasthya Sadhan
Author(s): Mohandas Karamchand Gandhi, Gandhiji
Publisher: Gandhi Granthagar Banaras

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Page 14
________________ क्योंकि मुझको भी इसके विषय में पूर्ण ज्ञान नहीं है। अतः मैं उतना ही विवरण दे रहा हूँ जितना कि हमारे लिए आवश्यक है। शरीर का सबसे मुख्य अंग पेट है। यदि पेट क्षण भर के लिए भी अपना काम बन्द कर दे तो सारे शरीर की क्रिया बन्द हो जायगी। जो भार उदर के ऊपर रहता है, वह जंगली जानवरों के सहन शक्ति से भी कहीं बढ़कर होता है। पेट का काम भोजन पचाना और सारे शरीर को शक्तिशाली बनाना है। पेट का सम्बन्ध शरीर से वैसा ही है जैसा कि रेलवे ट्रेन का भाप के इंजिन से। पाचक रस पेट से उत्पन्न होकर भोजन पचाता है और व्यर्थ वस्तु को मल-मूत्र के रूप में बाहर निकाल देता है। पेट की दाहिनी ओर जिगर और बाई ओर तिल्ली हैं। जिगर का काम रक्त साफ करना तथा पित्त उत्पन्न करना है जिससे पाचन में बहुत सहायता मिलती है। __पसलियों से हृदय और फेफड़े दोनों ढंके हैं। हृदय दोनों फेफड़े के मध्य में है, लेकिन इसका झुकाव बायीं ओर है। सीने में कुल चौबीस हडडियाँ हैं । पाँचीं और छठी पसली के मध्य में दिल की धड़कन महसूस होती है। फेफड़े हवा की नली से मिले हुए हैं जिससे हम लाग साँस लेते हैं। जो हवा फेफड़ो में आती है वह अशुद्ध रक्त को साफ बनाती है। मुँह की अपेक्षा नाक से साँस लेना लाभप्रद है। शरीर को सब हरकतें रक्त संचार के ऊपर निर्भर हैं। रक्त ही के द्वारा सारे शरीर का पालन होता है। यह भोजन से पुष्टकारक पदार्थ को अपने में ले लेता है और व्यर्थ वस्तु को मलमूत्र के रूप में बाहर निकाल देता है, और इस तरह शरीर को गर्म रखता है। नसों और धमनियों द्वारा रक्त का संचार प्रतिक्षण

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