Book Title: Swasthya Sadhan
Author(s): Mohandas Karamchand Gandhi, Gandhiji
Publisher: Gandhi Granthagar Banaras

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Page 83
________________ उसमें से निकले हुए पोब को चमड़े द्वारा हमारे शरीर में प्रवेश कर देने का नाम टोका है। कहा जाता है कि ऐसा कर देने से मनुष्य के शरीर पर शीतला निकल आती है और फिर आगे उन्हें महा शीतला का डर नहीं रहता। लेकिन जब यह देखने में आया कि टीका लगाए हुए मनष्य को भी चेचक निकल आती है तो एक नई सूझ निकाली गयी और कहा जाने लगा कि अमुक समय पश्चात् फिर टीका लगा लेना चाहिए, यहाँ तक कि आज कल सभी लोगों के लिये चाहे वे टीका लगवाये हों या नहीं, जब कभी उनके गाँव या मोहले में चेचक का प्रकोप हो, टीका लगा लेना अनिवार्य है । अतः ऐसे बहुत मनष्य मिलते हैं जो पाँच-पाँच, छः छः या इससे भी अधिक बार टीका लगवाये हुए होते हैं। ____टीका लेना एक जंगली रिवाज हैं । हमारे वर्तमान समय की यह एक हानिकारक प्रथा है । संसार की जंगली जातियों में भी यह प्रथा नहीं है। इसके अधिकारी, जो टीका नहीं भी लगवाना चाहते उन्हें कानूनी का भय दिखा कर टीका लगाने के लिये मजबूर करते हैं। यह बहुत पुराना आविष्कार नहीं है । बल्कि १७९८ ई० से ही यह प्रचलित है । लेकिन इतने थोड़े समय में ही लाखों मनष्यों को यह विश्वास हो गया है कि टीका लगा लेने से चेचक के रोग से आदमी बच जाता है। ऐसा कोई नहीं कह सकता कि जिसे टीका नहीं लगाया गया है उसे अवश्य ही यह रोग होगा, क्योंकि बहुतेरे ऐसे मिलेंगे जिन्हें टीका बिलकुल ही नहीं लगाया गया है, और फिर भी वे इस रोग से बचे हैं। इससे हम कदापि यह नहीं मान लेंगे कि टीका नहीं लगाने से जिन्हें यह रोग हो गया है यदि वे टीका लगा लेते तो अवश्य ही इस रोग से बच जाते। इसके अतिरिक्त यह एक बहुत ही गन्दी औषधि है। इस

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