Book Title: Swasthya Sadhan
Author(s): Mohandas Karamchand Gandhi, Gandhiji
Publisher: Gandhi Granthagar Banaras

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Page 99
________________ बिछाना आदि बातें शिक्षा के नियमों के विरुद्ध है । जैसे कि पुरानी कहावत है कि "माता-पिता ही का गुण लड़कों में आता है" यदि माता-पिता की चाल-ढाल और रहन-सहन सादा होता है तो बच्चा भी वैसा ही होता है यदि वे नाजुक मिजाज के होते हैं तो बच्चा भी प्रायः वैसा ही हो जाता है । यदि वे सत्य और स्पष्टवादी हैं तो बच्चा भी वैसा ही होता है । यदि वे तुतला कर बोलते हैं तो वह भी वैसे ही बोलने लगता है । यदि बुरे शब्द का प्रयोग करते हैं और उनमें कुछ बुरी ठेव पड़ गई हैं, तो बच्चा भी उसी का अनुसरण करता है । तात्पर्य यह है कि मां-बाप का कोई भी काम "ऐसा नहीं, जिसको बच्चा करने न सीख जाय । बड़े-बड़े विद्वानों का यह कहना है कि मां-बाप के पास रह कर बच्चे को जो शिक्षा मिलती है वह फिर कभी नहीं मिलती । अब हम लोग समझ गये कि मां-बाप की जिम्मेदारी बच्चे के 'प्रति कितनी भारी है उनका मुख्य कर्त्तव्य है कि वे बच्चे को ऐसी शिक्षा दें जिससे वह सत्यवादी, ईमानदार और अपने समाज का आभूषण बन जाय । पशु और फल वगैरह के विषय में भी हम यही देखते हैं कि जो जिस नस्लका है प्रायः उनसे उत्पन्न - पशु या फल भी उन्हीं जैसे होते हैं । केवल मनुष्य ही प्राकृतिक नियम भंग करता है । यह मानव-समाज ही में देखा जाता है 'कि नेकचलन मनुष्य की सन्तान बदचलन होती और बलवान की सन्तान प्रायः निर्बल हो जाती है। उसका कारण यह है कि हम बिना समझे बूझे मां-बाप बन जाते हैं जब कि हम उस पद के योग्य नहीं होते । मां-बाप का यह अनिवार्य कर्त्तव्य हैं कि वे अपने बच्चों का उचित रीति से पालग पोषण करें यह तभी सम्भव हो सकता है जब माँ-बाप दोनों ही स्वय उचित शिक्षा प्राप्त किये हों । जो माँ-बाप इस तरह की शिक्षा से वंचित हैं, उनका यह कर्त्तव्य होता है कि वे अपने बच्चों को किसी योग्व अभिभावक की देख

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