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२० - - उपसंहार
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स्वास्थ्य के विषय में मुझे जो कुछ कहना था वह कह चुका • इसे समाप्त करने से पहले इस पुस्तक के लिखने के मुख्य उद्देश्य को विस्तृत रूप से बतलाता हूँ ।
इस पुस्तक का लिखते समय मैंने इस प्रश्न पर बार-बार विचार किया कि इसे मैं क्यों लिख रहा हूँ। मैं कोई डाक्टर नहीं हूँ और न मुझे इन विषयों का यथेष्ट ज्ञान ही है । अतः अधिक सम्भव है कि मेरे विचार अधूरे रह गये नों ।
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इसका उत्तर यही हो सकता है कि वैद्यक विद्या की रचना ही अधूरी है। इसके अधिकांश विषय काल्पनिक ही हैं। ये प्रकरण निःस्वार्थ भाव से लिखे गये हैं । रोगों के उपचार की अपेक्षा उनके जड़ को अंकुरित न होने देने की इसमें अधिक चेष्टा की गई ह | थोड़ा सा उद्योग करने से मालूम हो जायगा कि रोगों की उत्पत्ति को रोक देना एक साधारण-सी बात है इसमें अधिक जान कारी की आवश्यकता नहीं। हाँ इतना अवश्य है कि उनका अभ्यास कुछ कठिन हो हमारा मुख्य उद्देश्य यही है कि रोगों की उत्पत्ति के कारण एवं उपचार का पता लगाया जाय ताकि आवश्यकता पड़ने पर सब लोग स्वयं उसको कर सकें । यों तो स्वास्थ्य के नियमों के पालन करने की थोड़ी बहुत जानकारी सभी को होती है फिर भी यदि उसमें हमारा भी अनुभव शामिल कर लिया जाय तो कोई हानि नहीं होगी ।
फिर भी अच्छे स्वास्थ्य की क्यों आवश्यकता है ? इसके लिये हम इतना चिन्तित क्यों रहते हैं ? हम लोगों की साधारण रहन-सहन से यही प्रतीत होता है कि हम लोग अपने स्वास्थ्य की ओर उतना ध्यान नहीं देते जितना कि हमें देना चाहिये । यह