Book Title: Swasthya Sadhan
Author(s): Mohandas Karamchand Gandhi, Gandhiji
Publisher: Gandhi Granthagar Banaras

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Page 100
________________ में रख दें। ऐसा विश्वास करना निरी मूर्खता है कि बच्चों केवल स्कूल भेज देने ही से वे सदाचारी बन जायेंगे । सदा-बनने के लिये उन्हें अच्छी संगति में रखना आवश्यक है । शिक्षा स्कूल में दी जाती है वह घरेलू शिक्षा के बराबर बच्चे असर नहीं कर सकती। यह बात पहले ही बतलायी गई है। ख्य शिक्षा जन्म काल हो से प्रारम्भ होती है। खेलने के समय बच्चों की बुद्धि का विकास होता है और उन्हें शारीरिक, सिक एवं धार्मिक शिक्षा मिलने लगती है, बचपन में माँ-बाप से ते-खेलते बच्चा अक्षर तथा गिनती का ज्ञान प्राप्त कर सकता बच्चों को स्कूल भेजने की प्रथा थोड़े ही दिनों से प्रचलित हुई यदि माँ-बाप बच्चों के प्रति अपने कत्तंव्य का उचित पालन करें समें सन्देह नहीं कि बच्चे बहुत ही उच्चकोटि के होंगे। लेकिन बात तो यह है कि हम लोग बच्चों को अपने मनोरंजन की नामग्री समझ बैठते हैं। उनके शरीर को सुन्दर वस्त्रों से हैं और उन्हें आभूषण पहनाते हैं । हम उन्हें बहुधा ई का लालच देते हैं और बचपन ही में लाड़-प्यार करके बिगाड़ देते हैं। अपने अनुचित लाड़-प्यार के कारण उन्हें छोड़ रखते हैं और उनके कामों में रोक टोक नहीं करते । म लोग स्वयं कंजूस, कामी, बेईमान, आलसी और गन्दे इसमें आश्चर्य की क्या बात है अगर हमारे बच्चे भी वैसे ची, निर्बल, स्वार्थी, आलसी, कामी एवं दुराचारी होते परोक्त बातों पर विचारवान माँ-बाप को ध्यान देना चाहिए।' के उन्हीं के ऊपर हमारे देश का भविष्य निर्भर है ।

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