Book Title: Swasthya Sadhan
Author(s): Mohandas Karamchand Gandhi, Gandhiji
Publisher: Gandhi Granthagar Banaras

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Page 107
________________ तो यहाँ तक कहता है कि वे उसके साथ मित्रवत व्यवहार करते थे । ऐसे ही हजारों फकीर और योगी हिन्दुस्तान के जंगलों में रहते हैं जहाँ शेर, चीते और सर्प बहुतायत से होते हैं। लेकिन कभी भी यह सुनने में नहीं आता कि वे उन जीवों द्वारा मारे गये हैं । यह कहा जा सकता है कि वे अवश्य मारे जाते होंगे लेकिन चूँकि वे हम लोगों से दूर रहते हैं अतः हम लोग उनके मारे जाने की खबर नहीं सुन पाते। ठीक है, मगर जो योगी जंगलों में रहते हैं उनको संख्या उन जंगली सर्पों की तुलना में नहीं के बराबर है । यदि वे मनुष्य के स्वाभाविक बैरी हाते तो कभी के उनका नाम निशान मिटा दिये होते । खास कर ऐसी अवस्था में जब कि उन योगियों के पास अपनी रक्षा के लिए कोई भी अस्त्र-शस्त्र नहीं रहते । लेकिन हम देखते हैं कि उनका नाश नहीं हुआ है और वे अब भी जंगलों में आराम से रहते हैं इससे पता चलता है कि यद्यपि वे स्वेच्छापूर्वक जंगलों में विचरते हैं. लेकिन कभी किसी से छेड़-छाड़ नहीं करते। इससे मैं इसी परिणाम पर पहुँचता हूँ कि जब तक मनुष्य उनके ऊपर दया नहीं दिखलायेंगे तब तक वे भी उन पर दापि दया नहीं दिखला सकते | प्रेम मनुष्य की महान शक्ति है। बिना इसके ईश्वर की पूजा भी सार्थक नहीं होती । सारांश यह कि प्रेम ही सब धर्मों की जड़ है । . इसके अतिरिक्त सर्प या अन्य जीवों को क्रूर स्वभाव और उनकी उत्पत्ति को हमी लोगों की क्रूरता का फल क्यों न माना जाय ? क्या हम लोग उनसे कम हिंसक हैं ? क्या हम लोगों की जबान उन्हीं के जबान जैसी विषैली नहीं है ? क्या हम लोग अपने भाई-बन्धुओं का उन्हीं के ऐसा शिकार नहीं बनाते ? इन सब बातों से यही प्रतीत होता है कि जब मनुष्य दूसरे को नुकसान पहुँचाना छोड़ देंगे, अन्य जीव-जन्तु

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