Book Title: Swasthya Sadhan
Author(s): Mohandas Karamchand Gandhi, Gandhiji
Publisher: Gandhi Granthagar Banaras

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Page 105
________________ शायी अर्थात् शेषनाग पर सोने वाला कहते हैं ! शिव को शेष नाग की ही माला पहने हुए मानते हैं । हम लोग बहुधा ऐसा कहा करते हैं कि अमुक वस्तु का वर्णन सहस्र- मुख वाले शेषनाग से भी नहीं हो सकता है । इससे यह मालूम होता है कि हम लोग शेषनागको विशेष बुद्धिमान मानते हैं। ऐसा कहा जाता है कि राजा नल को करकोट साँप ने काट खाया था जिसके जहर के प्रभाव से वे कुरूप हो गए थे और उन्हें बनवास के समय कोई नहीं पहचान सका क्रिश्चियन लोगों के पवित्र एवं धार्मिक पुस्तक बाइबिल में भी कुछ प्रसंग आया है । अंग्रेजी में बहुधा कहा करते हैं कि अमुक आदमी सर्प के मानिन्द चुस्त चालाक है। बाइबिल में लिखा हुआ है कि “शैतान ने हऊवा बीवी को ललचाने के लिए सर्प का रूप धारण किया था । " साँप से डरने का वास्तविक कारण यह है कि साँप के काटने से उसका विष शरीर में तुरत फैल जाता है जिससे आदमी शीघ्र मर जाता है। चूँकि मृत्यु का नाम ही स्थानक है, अतः साँप स हमारा डरना स्वाभाविक है । वास्तव में हम डर ही के कारण सर्पों की पूजा किया करते हैं। यदि वह छोटा जीव होता तो इतना भयंकर होने पर शायद हम उसकी पूजा नहीं करते, लेकिन चूँकि वह एक बड़ा और प्राणघातक जीव है, इसी से हम उसे पूजते हैं। पाश्चात्य वैज्ञानिकों का यह कहना है कि सर्प में कोई विशेष बुद्धि नहीं है अतः जहाँ मिले वहीं इसे मार डालना चाहिए । सरकारी गणना से हमें पता चलता है कि साँप के काटने से हर साल हिन्दुस्तान में करीब बीस हजार आदमी मरते हैं । जहरीला साँप मारने पर सरकार से इनाम मिलता है । लेकिन हमें यह देखना चाहिए कि इस प्रथा से देश को नहीं । अनुभव से पता लगा है कि साँप I कुछ लाभ पहुँचा है या एकाएक किसी को नहीं

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