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___ डूबे हुए मनुष्य को ज्योंही पानी से बाहर निकाला जाय उसका बदन अच्छी तरह पोंछ दिया जाय, उसके भीगे कपड़ों को उसके बदन से अलग कर देना चाहिए। तब उसके दोनों हाथों को उसके सिर के नीचे कर उसे पट (औंधा) सुला देना चाहिए । अपने हाथ को उसकी छाती पर रख उसके मुँह से पाली और मिट्टी वगैरह निकाल देना चाहिये। अब उसकी जीभ बाहर निकल आयेगी उसे रूमाल से पकड़ लेना च हिये और तब तक पकड़े रहना चाहिये जब तक कि वह होश में न आ जाय : होश में आते ही उसके सिर और छाती को पाँव से कुछ ऊपर कर उसे सोधा कर देना चाहिये। एक सहायक को उसके सिर की तरफ घुटनों के बल बैठकर धीरे-धीरे उसके हाथों को फैला देना चाहिये। ऐसा करने से उसकी पसलियाँ उठेगी और स्वाँस आने-जाने लगेगा। इसके अलावा गर्म और ठंडे पानी को हाथ में लेकर उसके सीने पर छिड़कते रहना चाहिये। यदि आग मिल सके तो उससे उसको गर्मी पहुँचाना चाहिये। इसके बाद जहाँ तक कपड़े मिल सकें उसको पहिना देना चाहिये जिससे उसके शरीर में गर्मी पहुँचे। ये सब उपचार पूर्ण आशा के साथ देर तक करना चाहिए । कभी-कभी तो यह घण्टों तक करना पड़ता है तब स्वाँस आती है। ज्यों ही स्वाँस का आना आरम्भ हो, कुछ गर्म पदार्थ पिलाना चाहिए। निम्बू का रस गर्म पानी में या तज, लौंग और काली मिर्च का काढ़ा पिलाने से बहुत लाभ होगा। तम्बाकू सुंघाने से भी उसे लाभ पहुंचता है। बेकार आदमी को उसके चारों तरफ नहीं घेरे रहना चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से स्वच्छ वायु बीमार को नहीं मिलती। अतः इन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
नीचे लिखे चिन्ह ऐसे रोगी के मर जाने के हैं:- . यदि स्वाँस का आना जाना रुक जाय, हृदय और फेफड़ों की