Book Title: Swasthya Sadhan
Author(s): Mohandas Karamchand Gandhi, Gandhiji
Publisher: Gandhi Granthagar Banaras

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Page 98
________________ पीसकर गर्म पानी और थोड़ा सा गुड़ मिलाकर पिलाने से च ही के ऐसा लाभ होता है । आधा केले को खूब मसल लिया हा और उसमें एक चम्मच जैतून का तेल मिला कर देने से ड़ा लाभ होता है। अगर गाय का दूध देना हो तो एक भाग घ से तीन भाग पानी मिलाकर गरम करे। जब एक उबाल आ काय तो थोड़ा सा गुड़ मिला दे ( मगर खाँड़ नहीं ) तब वह दूध ना चाहिए। बच्चे को धीरे-धीरे फल खाने की आदत डालनी दाहिए ताकि शुरू ही से उसका खून साफ रहे और वह सुन्दर और बलिष्ट हो । वे मातायें जो अपने बच्चों को दाँत जमते ही न्हें चावल, दाल और शाक खिलाने लगती हैं उन्हें बहुत हानि हुँचाती हैं। चाय और कहवा तो बिलकुल ही नहीं देना चाहिए। 1 • जब बच्चा कुछ बड़ा होकर घुटनों के बल चलने लगे तो उसे करता या ऐसा ही कोई दूसरा वस्त्र पहनाना चाहिए, लेकिन सका पाँव नंगा ही रखना चाहिए। ताकि वह अपनी इच्छा अनुसार इधर-उधर घूमता रहे जूता पहना देने से खन का दौरा क जाता है और पाँव तथा पैर के मजबूत होने और बढ़ने में कावट पैदा होती है। सुन्दरता बढ़ाने के लिये बच्चों को रेशमी बेल-बूटेवाले वस्त्र पहनाना, टोप, कोट या जेवर पहनाना एक बहुत ही बुरी प्रथा है । प्रकृति ने बच्चे को जो प्राकृतिक सुन्दरता ही हो, हमें अपने परिश्रम और प्रयत्नों से उसे बढ़ाने की चेष्टा करनी चाहिए। दिखावे के लिये बच्चों का बनाव शृङ्गार करना हमारी अज्ञानता का सूचक है । हमें सदा याद रखना चाहिए कि बच्चे की शिक्षा उसके जन्म काल ही से आरम्भ हो जाती है । उनके सच्चे शिक्षक तो माँ-बाप ही होते हैं। माँ-बाप के रहन-सहन का प्रभाव बच्चे पर पड़ता है। उन्हें डराना, धमकाना, सजा देना और उनके शरीर पर आभूषण लादना, उन्हें हँस हँस कर

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