________________
होगी और उसे काफी दूध भी उतरता है, जैतून का तेल सेवन करने से माँ के दूध में एक विष शक्ति पैदा हो जाती है जिसके पीने से बच्चे का दस्त साफ आती है इस तरह बच्चा भी रोग से बचा रहता है। यदि बच्चा बीमार हो जाय तो उस्को माँ के स्वास्थ्य की ओर ध्यान देना चाहिये। बच्चे को दवा देना उसे जानबूझ कर मारना है। क्योंकि उसका मेदा नाजुक होता है। जिससे दवा का जहर शीघ्र फैलता है । अतः जो कुछ औषधि देनी हो माता को देनी चाहिए। औषधि का गुण उसकी माता के दूध में आकर बच्चे को लाभ पहुंचाता है। यदि बच्चे को कफ हो जाय या दस्त आवे तो डरने की कोई बात नहीं है। हमें एक दो दिन देख-लेना चाहिये और उसके कारण का पता लगाना चाहिए। कारण मालूम हो जाने पर छुटकारे का उद्योग करना चाहिए। एक ब एक इसके लिये दौड़ धूप कर दवा दारू करने से और भी खराबी पहुंचेगी।
बच्चे को गुन-गुने पानी से स्नान कराना चाहिए | उसका वस्त्र यथासाध्य कम और पतला हो और यदि हो सके तो बिलकुल न पहनाये जायँ । बच्चे को मोटे कपड़े पर सुलाकर गर्म चादर से ढके रहना चाहिए। इससे कपड़े पहिनाने की आवश्यकता पूरी हो जायगी और कपड़े भी गन्दे होने से बचेंगे एवं बच्चा भी बलवान होगा । नाल के ऊपर कपड़े को चौपरता बनाकर रख दें और ऊपर से उसे दूसरे कपड़े से मुलायम बाँध दें। नाल पर तागा बाँधकर उसे गले में लटकाने की प्रथा हानिकर है ! नाल की पट्टी को खोलते रहना चाहिए। यदि नाल के इर्द-गीद नमी मालूम पड़े तो बारीक पीसा हुआ स्वच्छ चावलों का आटा छान कर रूई के द्वारा उस पर छिड़क देना चाहिए। ___ जब तक बच्चे को माँ का दूध काफी मिलता हो उसे उसी पर रखना चाहिए। लेकिन जब कुछ कम पड़ने लगे तो भूने हुए गेहूँ.