________________
जीवन व्यतीत करने दे। किसी प्रकार की लड़ाई झगड़ा उससे न करे और सदा उसको प्रसन्न-चित्त रखने की कोशिश करे। उसे घरेलू परिश्रम का.काम न करने देना चाहिये। और रोज थोड़ी हेर तक खुली हवा में टहलने देना चाहिये। इस अवस्था में किसी कार की जड़ी-बूटी या औषधि कदापि न देनी चाहिए।
१८--शिशु-पालन ___ इस प्रकरण में हम धाय के सभी कर्तव्यों का वर्णन नहीं करेंगे बल्कि यही बतलायेंगे कि शिशु-पालन कैसे किया जाता है। जो पछले प्रकरणों को पढ़ आये हैं उन्हें यह बतलाने की आवश्यकता वहीं है कि जच्चे को अन्धेरे कमरे में जहाँ रोशनी न जाती हो, नैले कुचैले कपड़ों पर, चारपाई के नीचे आग रख कर सुलाना हानिप्रद है। यह रिवाज चाहे कितना पुराना क्यों न हो-बहुत बुरा तथा हानिकारक है। हाँ, जाड़े के दिनों में जच्चे को गर्म रखने के लिए कम्बल ओढ़ा सकते हैं। यदि कमरा अधिक ठंडा हो तो आग जलानी चाहिए, लेकिन आग बाहर जलानी चाहिये और नब उसमें से धुआँ निकलना बन्द हो जाय तब अन्दर लानी वाहिए, लेकिन फिर भी उसके चारपाई के नीचे नहीं रखना वाहिए। -गर्म पानी से भरे बोतलों को उसके चारपाई पर रखकर गर्मी पहुंचाई जा सकती है। बच्चा पैदा हो जाने, पर सब कपड़े
और चादरों को साफ कर देना चाहिए और तब उसे प्रयोग में जाना चाहिए। ___ चूंकि बच्चे का स्वास्थ्य उसकी माँ के स्वास्थ्य पर निर्भर करता है अतः उसके भोजन में विशेष सावधानी रखनी चाहिए। यदि इसे गेहूँ की बनी चीजें, केला औलिभ आयल ( जैतून का तेल ) वाने को दिया जाय तो उसे काफी गर्मी और ताकत मालूम