Book Title: Swasthya Sadhan
Author(s): Mohandas Karamchand Gandhi, Gandhiji
Publisher: Gandhi Granthagar Banaras

View full book text
Previous | Next

Page 94
________________ करता है। इसके अतिरिक्त वे असमय गर्भ धारण करती हैंर प्रसव के बाद शीघ्र ही पुरुषों का शिकार हो जाती हैं। उन्हें कब्जीयत का रोग हो जाता है। हमारे देश की वों कन्याओं और स्त्रियों की यह अवस्था हो रही है। मेरे वार से ऐसा जीवन नर्क से भी बुरा है। जब तक पुरुष ऐसा विक आचरण करते रहेंगे, हमारी स्त्रियाँ सुखी नहीं रह तीं। बहुत से लोग इस दोष को स्त्रियों के मत्थे मढ़ते हैं, लेकिन किसका दोष है इस पर विचार करने के लिए हमें यहाँ स्थान है । हमें केवल बुराइयों को देखना है और उससे छुटकारे उपाय बतलाना है । सभी विवाहित स्त्री-पुरुष को यह याद ना चाहिये कि तब तक वासना की तृप्ति की बुरी देव, खास छोटी उम्र में गर्भ धारण कर लेने की बुरी प्रथा और बच्चा होने के बाद ही सम्भोग करने की आदत छूट न जायगी तक प्रसव की पीड़ा दूर नहीं हो सकती । स्त्रियाँ प्रसव की हा को चुप-चाप सहन करती हैं यह नहीं सोचती कि स्वयं की इच्छा से ही ऐसा होता है उनकी संतान दुबली-पतली र कमजोर हो जाती है । प्रत्येक स्त्री-पुरुष का कर्तव्य है कि वे ने को इस विपत्ति से बचावें । कम से कम यदि एक भी स्त्री इसका पालन करें तो इसका यह मतलब होगा कि वे अपना दर्श दिखला कर संसार को पतित अवस्था से उठा रहे हैं। यह ऐसा आवश्यक विषय है कि इसके लिये एक को दूसरे की क्षा नहीं करनी चाहिए । उपरोक्त बातों से यही प्रतीत होता है कि गर्भ ठहर जाने के पुरुष को स्त्री प्रसंग नहीं करना चाहिये और नौ मास तक स्त्री के ऊपर विशेष जिम्मेदारी रहती है । उसकी इस सन्तान भविष्य सर्वथा उसके इस नौ महीने की रहन-सहन पर भर करता है यदि वह अच्छी-अच्छी वस्तुएँ पसन्द करेगी तो

Loading...

Page Navigation
1 ... 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117