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नहीं होंगे | लेकिन खेद ! हम में से बहुत कम इसका ध्यान रखते हैं जो कि हवा हमारे अन्दर प्रवेश करती है, वह अशुद्ध तथा विषैली है । यह कैसी आश्चर्य की बात है कि कई मनुष्य घंटों एक साथ तंग कमरे में सोते हैं, और एक दूसरे की दूषित हवा अपने अन्दर लेते हैं ! सौभाग्य से हवा एक ऐसी चीज है जो छोटे से छोटे रास्ते से भी तंग तथा बन्द कमरे में कुछ न कुछ प्रवेश करती ही रहती है।
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अब हमें विदित हो गया कि क्यों हम लोग निर्बल और रोग प्रसित हैं । अशुद्ध हवा ही इसका मूल कारण है कि आज ९९ प्रतिशत लोग रोगी हैं । रोग से बचने का सबसे अच्छा उपाय खुली हवा है । इसकी तुलना में डाक्टर कुछ नहीं हैं । अशुद्ध वायु से फेफड़े खराब हो जाते हैं और इसी की खराबी से राजयक्ष्मा का रोग होता है, जैसे कि खराब कोयले से इञ्जिन खराब 'हो जाता है । अतः डा० की राय है कि राजयक्ष्मा के रोगी को २४ घंटा खुली और ताजी हवा में रखना चाहिए । यही सबसे उत्तम औषधि है ।
फेफड़ों के अतिरिक्त शरीर के छोटे छोटे छिद्रों द्वारा भी शरीर में हवा प्रवेश करती है । हमें यह जानना आवश्यक है कि हवा कैसे शुद्ध रह सकती है । इस बात को कम लोग महसूस करते हैं कि गन्दे पाखाने बहुत हानिप्रद हैं। कुत्ते और बिल्ली भी जमीन खुरचकर टट्टी करते हैं और उसे मिट्टी से ढँक देते हैं । जहाँ पर आधुनिक ढंग के पाखानों का अभाव है वहाँ हमें भी ऐसा ही करना चाहिये एक टीन में राख या मिट्टी भर कर मल-मूत्र पर डालने के लिए रखनी चाहिये । इससे यह लाभ होगा कि मक्खियाँ उस पर न बैठ सकेंगी और न गन्दगी फैला सकेंगी ।
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हमें पाखाने की सफाई पर स्वयं ध्यान रखना चाहिए और यदि हो सके तो स्वयं साफ करना चाहिए। जो मल हमारे शरीर