Book Title: Swasthya Sadhan
Author(s): Mohandas Karamchand Gandhi, Gandhiji
Publisher: Gandhi Granthagar Banaras

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Page 23
________________ ऊपरी भाग का पानी पीने के लिये ही रख छोड़ना चाहिये और नीचे का भाग कपड़ा धोने और स्नान करने के लिए। जहाँ ऐसा प्रबन्ध न हो वहाँ पीने का पानी हमें बालू खोद कर लेना चाहिए। यह पानी बहुत निर्मल होता है; क्योंकि बालू पानी को छानकर स्वच्छ कर देता है ! कुएं का पानी बहुधा हानिकारक होता है। कुआँ जब तक चारों तरफ से सुरक्षित न हो उसका पानी नहीं पीना चाहिए। __ कभी-कभी चिड़ियाँ पानी में गिर कर मर जाती हैं क्योंकि वे कुएँ के भीतर अपना घोंसला बनाती हैं। पानी भरने वालों के पांव का कीचड़ भी पानी में गिर कर उसे गन्दा करता है। इन्हीं सब कारणों से कुएँ का पानी पीने में हमें सावधानी रखनी चाहिए । वहुधा टब का पानी भी गन्दा हो जाता है । उसे बराबर साफ करने और ढंक कर. रखने से पानी पीने योग्य हो सकता है । हमें इस बात का भी ध्यान रखना चाहिये कि जिस तालाब या कुएँ का पानी हम पीते हैं वह स्वच्छ हो। बहुत कम लोग पानी को स्वच्छ रखने का प्रयत्न करते हैं। पानी को स्वच्छ रखने का सबसे अच्छा उपाय यह है कि उसे उबाल लिया जाय और ठंडा होने पर फिर किसी साफ तथा मोटे कपड़े से किसी दूसरे बतन में छान कर रख दिया जाय । हमारा काम यहीं समाप्त नहीं हो जाता । हमें यह महसूस करना चाहिये कि इस विषय में हमारी जिम्मेदारी हमारे भाइयों के लिये और भी है जनता के प्रयोग का जल हमें कभी गन्दा नहीं करना चाहिये। जो पानी पीने के लिए है, उसमें हमें कभी कपड़ा नहीं धोना चाहिए। नदी के किनारे हमें कभी शौच नहीं होना चाहिए। न तो हमें वहाँ मुर्दा ही जलाना चाहिये और न जली हुई राख पानी में बहाना चाहिये। - इतना प्रयत्न करने पर भी स्वच्छ पानी मिलना कुछ कठिन

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