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और इसका प्रयोग कमजोर से कमजोर आदमी पर भी किया जा सकता है। ताप ज्वर, चेचक, या अन्य चर्मरोग में ठण्डे पानी में कपड़ा भिगोकर लपेटे रहने से बहुधा आश्चर्यजनक लाभ पहुँचता है। कोई भी मनुष्य इसकी परीक्षा कर सकता है इससे कुछ हानि भी नहीं होती । उन्माद तथा सन्निपात के रोगियों के सिर पर बर्फ में भिगोया हुआ कपड़ा रखने से बहुत कुछ शान्ति मिलती है । जिसे दस्त न आती हो वह यदि बर्फ में कपड़ा भिगोकर अपने पेट पर बांधे तो दस्त आ सकती है । यदि शरीर के किसी अंग से खून बहना बन्द न होता हो तो बर्फ के पानी में कपड़ा भिगोकर बाँधने से खून बन्द हो जाता है। नाक से खून ( नकसीर ) आता हो तो सिर पर ठण्डे पानी की धार गिराने से खून का आना बन्द हो जाता है । नाक में किसी तरह की बीमारी अथवा सिर दर्द क्यों न हो दोनों समय नाक से पानी खींचने से अच्छा हो जाता है । नाक का एक छेद बन्द कर दूसरे से पानी चढ़ाया जाय। फिर बन्द किये छेद के द्वारा बाहर निकाल दिया जाय अथवा दोनों छिद्रों से पानी ऊपर चढ़ाया जाय और मुँह के द्वारा निकाल लिया जाय । यदि नाक साफ हो तो ऐसा करते समय पानी मुँह से पेट के अन्दर चला जाय तो भी कोई हानि नहीं होती । नाक को साफ रखने का भी अच्छा तरीका है। जिनसे नाक द्वारा पानी ऊपर नहीं चढ़ाया जा सकता वे पिचकारी का प्रयोग कर सकते हैं; लेकिन हो, चार बार कोशिश करने से वे भी नाक से ही पानी खींच सकते हैं । सब को इसका अभ्यास करना चाहिए क्योंकि यह
नाक की
एक सरल उपाय है और इससे सिर दर्द, बदबू बन्द हो जाती है । बहुत से लोग गुदा चढ़ाते डरते हैं और कितने ही यह सोचते हैं कि ऐसा शरीर निबल हो जाता है, लेकिन यह उनका भ्रम है।
मैल और
में पानी
करने से
शीघ्र दस्त
के द्वारा पेट