Book Title: Swasthya Sadhan
Author(s): Mohandas Karamchand Gandhi, Gandhiji
Publisher: Gandhi Granthagar Banaras

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Page 76
________________ दर्द भी इससे आराम होता है। इन अनुभवों से मैं इसी परिणाम पर पहुँचता हूँ कि इसका उपचार घरेलू रोगों में बहुत ही लाभदायक सिद्ध हो सकता है । यह बात अवश्य है कि सभी प्रकार की मिट्टी एक-सी उपयोगी और गुणकारी नहीं हुआ करती। जमीन खोदकर जो सुर्ख मिट्टी निकाली जाती है वह बहुत उपयोगी होती है। यह अधिक चिकनी नहीं होती । बालू मिली चिकनी मिट्टी सब से उत्तम है । जो मिट्टी प्रयोग में लाई जाय उसमें गोबर या दूसरी कोई खराब वस्तु न मिली हो। पहले मिट्टी को बारीक पीस कर चलनी से छान लेना चाहिये तब उसे ठंढे पानी में मिलाकर काम में लाना चाहिए । मिट्टी को अच्ची तरह आटे की भांति गूंध लेना चाहिए | और तब उसे स्वच्छ कपड़े में रख कर पुलटिस बना लेना चाहिये । प्रयोग के बाद जब मिट्टी सूखने लगे तो पुलटिस को हटा देना चाहिए। आमतौर पर एक पुलटिस दो से तीन घण्टे तक ठहर सकती है। एक बार प्रयोग की हुई मिट्टी दोबारा काम में नहीं लानी चाहिए । हाँ, उस कपड़े को खूब साफ करके फिर काम में ला सकते हैं ! अगर पुलटिस पेट पर रखनी हो तो पहले उसे गरम कपड़े से ढँक देना चाहिए । तब उस पर मिट्टी चढ़ाना चाहिए। हरेक आदमी को चाहिए कि एक टीन स्वच्छ मिट्टी अपने पास रखे ताकि आवश्यकता पड़ने पर उसका प्रयोग आसानी से कर सके। ऐसा न हो कि किसी को बिच्छ काट दे और तब मिट्टी की तलाश की जाय । ऐसा करने से विष बदन में फैल जायगा । बिच्छू इत्यादि डंक मारनेवाले जानवरों के काटने पर जितना जल्दी मिट्टी का प्रयोग किया जायगा उतना ही शीघ्र लाभ होगा । 7 t

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