Book Title: Swasthya Sadhan
Author(s): Mohandas Karamchand Gandhi, Gandhiji
Publisher: Gandhi Granthagar Banaras

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Page 74
________________ जाते हैं । यह निश्चय है कि यदि स्वास्थ्य के नियमों का भलीगाँति पालन किया गया, तो जल-चिकित्सा से रोगी तुरन्त अच्छा ो सकता है। १२--मिट्टी का उपचार ___ अब मैं मिट्टी के उपचार के विषय में कुछ बतलाऊँगा। सका उपचार कभी-कभी जल-चिकित्सा से भी बढ़कर आश्चयनक चमत्कार दिखलाने में उपयुक्त सिद्ध हुआ है। मिट्टी में जनी शक्ति वर्तमान है कि यह सुनकर हमें चकित हो जाना इता है क्योंकि हम लोगों का स्थूल शरीर भी इसी मिट्टी से बना । वास्तव में इसका प्रयोग हम पवित्रता की दृष्टि से करते हैं। रे गन्ध को मिटाने के लिए हम उस स्थान को मिट्टी से पोतते । हम सड़ी-गली वस्तुओं को मिट्टी से ढक देते है ताकि उसकी री गन्ध हवा को दूषित न करे। हम अपने हाथ और गुप्त न्द्रयों को भी इससे धोते हैं। योगी इसे अपने शरीर में मलते । कुछ लोग फोड़े-फुन्सियों को आराम करने के लिए इसका योग करते हैं । शव का मिट्टी के अन्दर गाड़ देते है ताकि सड़ने । उसकी बुरी गन्ध वायुमण्डल को दूषित न कर सके । इन सब याओं से यह साबित होता है कि मिट्टी के अन्दर स्वच्छता और आरोग्य प्रदान करने की शक्ति है । जिस तरह डा० लूईकने ने जल-चिकित्सा के विषय में अनेक उप गी बातें बतलायी हैं, उसी तरह एक जूस्ट नामक जर्मन डाक्टर ने ट्टिी के उपचार के विषय में अनेक लाभ अनुभव करके इसकी पयोगिता का वर्णन किया है। उसने यहाँ तक बतलाया है कि हुत से असाध्य रोग इसके द्वारा आराम किये जा सकते | वह एक घटना का इस प्रकार वर्णन करता है कि किसी

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