Book Title: Swasthya Sadhan
Author(s): Mohandas Karamchand Gandhi, Gandhiji
Publisher: Gandhi Granthagar Banaras

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Page 38
________________ परिश्रम को देर तक बिना थकावट के कर सकता हूँ। मैं मानसिक काम भी अधिक उत्साह और तत्परता से कर सकता हूँ। मैं बहुत से रोगियों को अच्छे परिमाण के साथ फलाहार कराता हूँ। मैं उन अनुभवों को अगले पृष्ठों में विस्तृत रूप से बतलाऊँगा। यहाँ इतना ही कह देना आवश्यक समझता हूँ कि यह मेरा निजी अनुभव है कि फल सब भोजनों में पष्टिकारक एवं स्वास्थ्यकारक है । मैं इस बात को पहले ही कह चुका हूँ कि मेरे कहने से सभी लोग फलाहार नहीं करने लगेंगे, हो सकता है कि पाठकों में से एक भी न करे, लेकिन मैं अपना कर्त्तव्य और धर्म समझकर इस विषय पर जो कुछ अनुभव मुझे प्राप्त हुआ है उसे लिख देना उचित समझता हूँ। यदि कोई मनुष्य फलाहार करना चाहे तो उसे बहुत सावधानी से इसे प्रारम्भ करना चाहिए। पहले उसे इस किताब के सभी प्रकरणों को पढ़कर उसके मुख्य-मुख्य बातों को समझ लेना चाहिए। पाठकों से मेरी यही प्रार्थना है कि वे अपना अन्तिम निर्णय शीघ्रता से न करें। जबतक कि मेरी सब बातों को न पढ़ लें। फलाहार के बाद शाकाहार और इसी में दूध भी शामिल है । शाक उतना पोषक नहीं है, जितना कि फल, क्योंकि शाक को आग पर पकाने से उसका कुछ पोषक अंश नष्ट हो जाता है। लेकिन बिना आग पर पकाये हम उसे खा नहीं सकते । आगे चलकर हम यह विचार करेंगे कि कौन सा शाक अधिक पोषक है। ___ गेहूँ सब अन्नों में प्रधान है। केवल गेहूँ पर मनष्य अपना जीवन व्यतीत कर सकता है, क्योंकि इसमें पोषक तत्व समान अंश में है। इससे कई प्रकार के भोजन बन सकते हैं जो सहज ही में पच जाते हैं । मक्का और बाजरा भी उसी श्रेणी के हैं और इनकी भी रोटियाँ बनती हैं, किन्तु ये गेहूँ से कुछ नीचे दर्जे के

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