Book Title: Swasthya Sadhan
Author(s): Mohandas Karamchand Gandhi, Gandhiji
Publisher: Gandhi Granthagar Banaras

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Page 42
________________ शाक भी छोड़ना पड़ेगा। यह एक बड़ा कठिन काम है । मुझे ‘विश्वास है कि शाक और दाल नमक बिना हजम नहीं हो सकते इसका यह मतलब नहीं कि नमक पाचन-शक्ति को बढ़ाता है, उससे केवल ऐसा होते प्रतीत होता है और उसका परिणाम बुरा होता है । यदि कोई आदमी नमक छोड़ दे, तो कुछ दिन तक उसे कुछ अड़चन मालूम होगी। लेकिन यदि वह अपने धैर्य को कायम रखेगा, तो थोड़े ही दिनों में उसे बहुत लाभ हो सकता है। ___मैं दूध को भी त्याज्य कहने का साहस करता हूँ। यह मैं अपने निजी अनुभव के आधार पर कहता हूँ जिसे यहाँ विस्तृत रूप से वर्णन करने की आवश्यकता नहीं समझता। दूध को सब लोग लाभकारी समझने के भ्रम में हैं। उनका विश्वास इतना अटल है कि उनके सामने इसे सर्वथा त्याज्य सिद्ध करना जरा कठिन है। जैसे कि मैं पहले कई बार कह चुका हूँ कि मेरे पाठक मेरी दलीलों को अक्षरशः मान लेंगे-ऐसा मेरा विश्वास नहीं है । मैं यह भी नहीं मानता कि यदि कोई तर्क द्वारा इसे मान भी ले, तो वह उसे कार्य्यरूप में परिणत करेगा। खैर ! मुझे जो सत्य प्रतीत होता है उसे कह देना अपना कर्तव्य समझता हूँ चाहे पाठक अपने ही सिद्धान्त को क्यों न मानें। डाक्टरों का मत है कि दूध में एक प्रकार की ज्वरोत्पादक शक्ति है । उन्होंने इसे सिद्ध भी किया है। बीमारी फैलाने वाले कीड़े. जो हवा में रहते हैं शीघ्र ही दूध में प्रवेश कर जाते हैं और उसे विषैला बना देते हैं। अतः दूध को सर्वथा स्वच्छ रखना कठिन है। दक्षिण अफ्रीका में दूध के उबालने, उसे रखने, उसके बर्तनों को साफ करने के विषय में कुछ सरकारी कानून बनाये गये हैं जब इसके लिए इतनी सावधानी तथा परिश्रम की आवश्यकता है, तो हम कह सकते हैं कि यह वस्तु ग्रहण करने योग्य नहीं है। . इसके अतिरिक्त दूध का शुद्ध होना गाय के भोजन और उसके

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