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मनुष्य कृषि पर अपना जीवन निर्वाह करते हैं। किसानों को अन्न-वस्त्र के लिये लगातार आठ-दस घन्टे काम करना पड़ता है। और कभी-कभी तो इससे भी अधिक | जब तक दिमाग मजबूत न हो, लगातार कठिन परिश्रम असम्भव है । किसान प्राय कृषि सम्बन्धी सभी कामों को करता है इसके लिये उसे मिट्टी और ऋतु का ज्ञान होना आवश्यक है । यहाँ तक कि उसे सूर्य, चन्द्रमा और तारों की चाल की भी जानकारी चाहिये | योग्य से योग्य आदमी किसानों से इस सम्बन्ध में हार जाते हैं । वह अपने आवश्यक कार्यों के विषय में काफी ज्ञान रखता है । वह तारों को देखकर रात में दिशा का ज्ञान कर लेता है और चिड़िया तथा चौपायों के बारे में भी काफी अनुभव रखता है । जब एक खास किस्म की चिड़ियाँ एकत्रित होकर चहकने लगती हैं तो वह समझ जाता है कि कब वर्षा होगी । यहाँ तक कि पृथ्वी और आकाश के विषय में भी वह ज्ञान रखता है । चूँकि उसे अपने बाल-बच्चों का पालन-पोषण करना पड़ता हैं, इस लिए वह धर्म सम्बन्धी बातों का भी ज्ञान रखता है। लम्बे-चौड़े आसमान के नीचे रहने के कारण वह ईश्वर के अस्तित्व को आसानी से समझ सकता है ।
सभी लोग किसान नहीं हो सकते और न इस विषय में लिखने के लिए यहाँ काफी स्थान ही है । लेकिन चूँकि वे प्राकृतिक जीवन व्यतीत करते हैं, इसलिए उनके विषय में कुछ कहना आवश्यक प्रतीत हुआ । यदि हम प्राकृतिक नियमों को भंग करते हैं, तो अवश्य ही उसके कारण हमें स्वास्थ्य सम्बन्धो कुछ क्षति सहन करनी पड़ती है । किसान ही के जीवन से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें दिन में कम से कम आठ घण्टा मानसिक और शारीरिक परिश्रम करना चाहिये । व्यवसायी और अन्य लोगों को अवश्य कुछ काम करना पड़ता है, लेकिन उनका काम भी केवल