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पर विजय पाने के लिए ही तो हम पैदा हुए हैं । जो लोग इस कठिनाइयों का सामना करने से पीछे हटेंगे वे कभी निरोग नहों रह सकते।
१०-साधारण उपचार
वायु-चिकित्सा
अब तक हमलोग स्वास्थ्य प्राप्ति और उसकी रक्षा के विषय में विचार किए हैं। यदि सब स्त्री-पुरुष स्वास्थ्य के नियमों का पालन करें और स्वस्थ रहने के लिए ब्रह्मचर्य का पालन करें, तो आगे लिखे जानेवाले प्रकरणों की आवश्यकता ही न हो। क्योंकि ऐसे व्यक्तियों को शारीरिक या मानसिक व्याधियाँ सता ही नहीं सकतीं । किन्तु ऐसे स्त्री पुरुष बहुत कम मिलते हैं। आजकल ऐसा . कौन है जिसको किसी प्रकार का रोग न हो। स्वास्थ्य सम्बन्धी जितने नियम बतलाये जा चुके हैं उनका जितना ही हम पालन करेंगे उतना ही नीराग रहेंगे। लेकिन जब हम रोग ग्रसित हो जाये तो उसका उचित उपचार करना हमारा कत्तव्य हो जाता है। आगे के प्रकरणों में यही बतलाया जायगा कि डाक्टरों की सहायता बिना उन रोगों का उपचार कैसे किया जा सकता है।
स्वास्थ्य के लए स्वच्छ वायु जितनी आवश्यक है, रोगों के उपचार के लिए भी उसकी वैसा ही जरूरत है। उदाहरण के लिये उस मनुष्य को लीजिये जिसे गठिया का रोग हो । यदि उसे गर्म हवा की भाप दी जाय तो उसको पसीना आ जायगा और उसके जोड़ खुल जायेंगे। इस किस्म की वायु चिकित्सा को