________________
तो फिर उनका महत्व की क्या रहे । हीरे की खोज में हजारों मनुष्य कठिन परिश्रम से जमीन को खोदकर खान में पहुँचते हैं तब कहीं उन्हें पर्वताकार कंकड़ों में इने गिने हीरे मिलते हैं। अब सोचना चाहिए कि ब्रह्मचारी रूपी हीरों की खोज मैं हमें किना प्रयत्न करने की आवश्यकता है। अगर ब्रह्मचर्य पालन करने से दुनिया का नाश होता है तो उसकी चिन्ता हमें क्यों है ? इस छोटी बात के लिए हम ब्रह्मचर्य के पीछे क्यों सृष्टि का प्रबन्धकर्ता ईश्वर है और उसका भार उसके उसे बनाया है और वही उसकी रक्षा करेगा । यह सवाल उठाना कि, दूसरे ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं या नहीं, हमारा काम नहीं है। जब हम व्यवसाई, वकील या डाक्टर बनते हैं तो कभी यह ख्याल नहीं करते कि अगर दुनिया के सब लोग इसी पेशें में हो जायँ तो हमारी क्या हालत होगी। ब्रह्मचारी को इसका उचित उत्तर अन्त में स्वयं मिल जायगा ।
पड़ते हैं ऊपर है उसने
सांसारिक मनुष्य इन विचारों को कार्य रूप में कैसे ला सकते हैं ? विवाहित मनुष्य क्या करें ? बाल बच्चेवालों को क्या करना चाहिए ? और जो अपने मन को वश में नहीं कर सकते, उन्हें क्या करना चाहिए ? इन सबका उचित उत्तर पहिले ही दिया जा चुका है। उस आदर्श को सामने रखते हुए हमें ठीक वैसा हो करना चाहिये। जब छोटे-छोटे बच्चों को अक्षरों का ज्ञान कराया जाता है तो अक्षरों की सूरत उनके सामने रखी जाती है और वे ठीक वैसा ही शक्ल बनाने की कोशिश करते हैं । यदि हम लोग ठीक ऐसे नियमानुसार ब्रह्मचर्य का पालन करते जायँ, तो हमें अवश्य लाभ होगा । यदि हम विवाहित हैं तो हमें अपने ब्रह्मचय्य का तभी नाश करना चाहिये जब संतानोत्पत्ति करना हो । यही प्रकृति का नियम है। जो इसके अनुसार चौथे पाँचवें वर्ष ब्रह्म