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खून का दौरा ज्यादे हो जाता है। क्योंकि जब हम तेज चलते हैं। तो ताजी हवा हमारे फेफड़ों में प्रवेश करती है, इसके अतिरिक्त हम प्राकृतिक दृश्य और उनकी सुन्दरता को देख कर प्रसन्न हो जाते है। सड़क और गन्दी गलियों में टहलना व्यय है। हमें मैदान या जंगल झाड़ियों में टहलना चाहिए, जहाँ कि हमें प्राकृतिक दृश्य देखने को मिल सकें। एक या दो मील टहलना नहीं टहलने के बराबर है। कम-से-कम दस या बारह मील टहलना आवश्यक है। जिसको टहलने के लिए इतना अवकाश नहीं मिलता, वे रविवार को ऐसा कर सकते हैं।
एक बार एक आदमी जिसको अजीण का रोग हो गया था एक डाक्टर के पास गया । डाक्टर ने उसे प्रतिदिन थोड़ा टहलने की सलाह दी। लेकिन वह ऐसा करने में अपने को सर्वथा असमर्थ बतलाता था । नब डाक्टर उसे अपनी गाड़ी में बैठा कर टहलने के लिए ले गया। डाक्टर ने रास्ते में जान बूझ कर अपना कोड़ा जमीन पर गिरा दिया। यह देखकर रोगी कोड़ा लाने के लिए नीचे उतरा। डाक्टर ने रोगी के लिए उपयुक्त मौका देखकर गाड़ी आगे बढ़ा दी । लाचार होकर रोगी को गाड़ी के पीछे-पीछे पैदल दौड़ना पड़ा। जब डाक्टर ने देखा कि रोगी काफी थक चुका है तो गाड़ी रोक दी और उसे गाड़ी में बैठा लिया । डाक्टर ने रोगी को समझाया कि पैदल चलवाने के लिए ही उसने ऐसा किया था।
अब पैदल चलने से उस आदमी को भूख लग गई इसलिए वह डाक्टर के आदेश के महत्त्व को समझ गया और उसे कोड़ा लाने में जो तकलीफ हुई थी उसे भूल गया। घर जाकर अच्छी तरह भोजन किया। जिन्हें अपच या और कोई ऐसी ही बीमारी हो तो वे नियमपूर्वक टहलने का अभ्यास करें शीघ्र ही टहलने के लाभ समझ में आ जायेंगे।